लग रहा है तुम्हें कैसा
lag raha hai tumhein kaisa
बताओ
लग रहा है तुम्हें कैसा
पिताजी पूछ बैठे पिंजरे में बंद चिड़िया से
जबकि पूछना चाहिए था उनको उनसे
खुले आसमानों में उड़ते हैं जो
चिड़िया कुछ देर तक चुप रही
फिर बोली—
अपनी बेटी से पूछ लीजिए
बेटी मुरझाई हुई थी
पिता जी दौड़ पड़े
खोल दिया तुरंत पिंजरा
फिर
इधर चिड़िया उड़ी आसमान में
और उधर बेटी!
- रचनाकार : खेमकरण ‘सोमन’
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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