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लड़की का पैर

ladki ka pair

अंशू कुमार

अंशू कुमार

लड़की का पैर

अंशू कुमार

और अधिकअंशू कुमार

    मैंने पैरों से कहा—साथ दो मेरा

    इतनी भी क्या जल्दी है

    अभी से तकलीफ़ में रहते हो!

    यूँ तो सफ़र में नहीं छोड़ा जाता साथ

    हमें बिना थके तलाशनी है अपनी ज़मीन

    लड़की ने चुना था अपने पैरों को

    अपना पहला और पक्का साथी

    जिसने हमेशा साथ दिया

    चौखटों से चौपालों

    चौराहों से रास्तों को नापते वक़्त

    कई फ़ैसलों में सिर्फ़ तुम साथ रहे

    'पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाना'

    जैसी कहावतों के घटने के समय तक,

    'जिनके पैरों में हरकतें नहीं होतीं

    उन्हें अपनी बेड़ियों का अंदाज़ा नहीं होता'

    के सच के पास—पहुँचने तक

    'उतने पैर पसारिए जितनी चादर होय'

    जैसी कहावतों को खुली चुनौती तक...!

    और अभी तो चलना सीख रही है ज़िंदगी

    और तुम हो कि अभी से रेंगने लगे

    कहाँ तो तय थी बात साथ दौड़ने की

    और तुम अभी से लड़खड़ाने लगे

    सुनो, मान जाओ और साथ चलो

    हमने साथ जाना था—

    लड़की का दर्द से पुराना रिश्ता है

    फिर तुम कैसे एक और दर्द लिए बैठे हो?

    जबकि लड़की को विश्वास सबसे ज़्यादा

    अपने पैरों पर ही रहा है

    सुनो, यक़ीन को शर्मिंदा मत करो

    दर्द को बार-बार

    ज़िंदा मत करो

    अभी तो कई फूल चुनने चलने हैं

    काँटे भी चुभेंगे, मरहम लिए बैठे हैं

    कई ठोकरें खानी हैं

    कई रास्ते हैं

    जिन पर चलना है

    सुनो, इस सच से कैसे मुँह मोड़ोगे

    कि लड़की के पास

    अपनी ज़मीन पर लौटना

    अपने पैरों पर खड़ा होना है

    लड़की की ज़मीन

    आख़िर उसका पैर ही तो रहा है

    और पैर से लड़की को बेइंतहा प्यार है

    क्योंकि ये पैर मेरे इतिहास का हिस्सा हैं

    वर्तमान का भरोसा है और

    आने वाले समय के भरोसेमंद साथी!

    स्रोत :
    • रचनाकार : अंशू कुमार
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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