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क्या उसी तरह

kya usi tarah

चंद्रेश्वर

चंद्रेश्वर

क्या उसी तरह

चंद्रेश्वर

और अधिकचंद्रेश्वर

    जिस तरह रोता है कोई बूढ़ा पिता अपने एकांत में

    कठिन दिनों को झेलते हुए

    क्या उसी तरह रोता होगा परम पिता भी

    कठिन दिनों में

    जिस तरह तलब लगती है थकान के बाद

    चाय या बीड़ी की

    एक रिक्शावान को

    एक गाड़ीवान को

    एक हलवाहे को

    गिट्टी तोड़ने वाले एक मज़दूर को

    कविता लिखने वाले हिंदी कवि मुक्तिबोध

    या मनमोहन को

    क्या उसी तरह लगती होगी तलब

    बीड़ी या चाय की परम पिता को भी

    जिस तरह अपने शिशु का चूमती है माथा

    अपनी पूरी ऊष्मा होठों पर लाकर एक माँ

    क्या उसी ऊष्मा से चूम पाएगा कभी किसी शिशु का माथा

    परम पिता भी

    क्या परम पिता का भी होता होगा दिल

    निर्भया के पिता की तरह!

    स्रोत :
    • रचनाकार : चंद्रेश्वर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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