क्या रिश्ता रहा भला ज़िंदगी से
ठुकरा दिया है जब उसने मुझे!
उर्फ़ां तो हैं सबके लिए
ईद लेकिन सिर्फ़ प्यार करने वालों के लिए।
क्या मतलब ईद का प्यार के बिना
ठुकरा दिया है जब उसने मुझे!
अंदर मेरे है एक लगातार जलती आग
महसूसती हूँ किसी भट्टी में सिंका ख़ुद को—
सारी देह भरी हुई फफोलों से
ठुकरा दिया है जब उसने मुझे।
बर्फ़ के मानिंद उसने मुझे पिघलाया
और किसी पहाड़ी नदी या नाले की तरह
ढलान का रुख मेरी क़िस्मत में लिख गया—
ठुकरा दिया है यूँ उसने मुझे।
क्या रिश्ता भला अब हो सकता है ज़िंदगी से
ठुकरा दिया है जब उसने मुझे!
- पुस्तक : हब्बा ख़ातून और अरणिमाल के गीत-गान (पृष्ठ 36)
- रचनाकार : हब्बा ख़ातून
- प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
- संस्करण : 2015
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