कुछ रहस्य अनखुले ही रहें तो बेहतर हैं
kuchh rahasy ankhule hii rahe.n to behatar hai.n
प्रदीप जिलवाने
Pradeep Jilwane
कुछ रहस्य अनखुले ही रहें तो बेहतर हैं
kuchh rahasy ankhule hii rahe.n to behatar hai.n
Pradeep Jilwane
प्रदीप जिलवाने
और अधिकप्रदीप जिलवाने
एक हड्डी टूटकर दो नहीं होती
जबकि एक ही दुःख पर
एक से अधिक क़िश्तों में रोया जा सकता है
समय भी
साँप की तरह उतारता है केंचुली
सिर्फ़ पानी में मरने का सपना
देखती है सब मछलियाँ
चुपचाप लौटने के लिए भी
होते हैं कुछ रास्ते
रोने के लिए भी हर घर में
होती हैं जगहें
छुपाने के लिए भी सभी के पास
होते हैं कुछ सुराख़
दुःख की परतें जीवन की दीवार पर
सीलन की तरह उतरती हैं
तब कभी-कभी अँधेरे से निजात के लिए
एक सूरज काफ़ी नहीं लगता
ऐसे में चाँद एक राहत भी है
और
सितारें बारिश की तरह
कुछ रहस्य अनखुले ही रहें तो बेहतर हैं
जैसे पुराने क़ब्ज़ की कोई शिकायत
या
जैसे धरती के साथ उनके कुकर्म
जिन्होंने धरती को स्त्री नहीं माना।
- रचनाकार : प्रदीप जिलवाने
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.