कुछ नेतन कै अस हया मरी, वै येहू मा रोटी सेंकि रहे।
कुछ करइ-धरइ का मदत नहीं बस लंबी-चौड़ी फेंकि रहे।
कुछ जने तौ केवल जनता का दिनरात करत गुमराह अहैं।
अपुना भितरे मा बइठ मुला, फइलावत बस अफवाह अहैं।
कुछ जने तौ बाटें खफा बहुत सांसद से अउर विधायक से।
सब कहयँ की नाता तोरि देब, अबकी अइसे नालायक से।
जे मदत करइ का दरकिनार, वै हालौचाल न लइ पायेन।
एतना दिन जीते भवा मुला, वै काम न एक्कउ कइ पायेन।
ये आपन रोटी सेंकि रहे, हम बना भाय तंदूर अही।
भइया हम तौ मजदूर अही।
- रचनाकार : अनुज नागेंद्र
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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