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कोयले में दिनभर काम करने से

koyle mein dinbhar kaam karne se

आलोक रंजन

आलोक रंजन

कोयले में दिनभर काम करने से

आलोक रंजन

और अधिकआलोक रंजन

    कैसे होगा आदमी काला

    गंदे होंगे कपड़े, हाथ, पैर सब

    क्या शक किया जा सकता है

    उसकी नीयत पर?

    क्या हो भी सकती है काली

    उसमें भी भरी होती है चमचा-चापलूसी

    चोरी-चमारी आदि जैसे शब्द।

    हो सकते हैं वो भी ग़लत

    बेख़ौफ़ होकर रिकार्ड कहते हैं

    आज अपने का विकास

    अपना नहीं देख सकता

    नग्न आँखों से

    ख़ैर वे तो कई घरों से आते हैं

    वहाँ भी चलती है एक राजनीति

    बनते हैं अपने आप में साहब

    सब के सब।

    अगर कभी

    इनके चमड़े का दाम लगाया

    जाए और की जाए इनकी

    मेहनत की नीलामी

    कितने ख़रीददार आएँगे सामने

    ख़रीदने उस चमड़े को जो वर्षों से तप रहा

    कोयले की खान में

    कितना होगा इनका दाम

    कभी कभी इनके परिश्रम

    प्रश्न चिन्ह लगा देते हैं

    बड़े-बड़े अनुच्छेदों पर।

    स्रोत :
    • रचनाकार : आलोक रंजन
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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