हमारे पूर्वज सीरीज़ में राम समुझ मिश्र
hamare purwaj series mein ram samujh mishr
देवी प्रसाद मिश्र
Devi Prasad Mishra
हमारे पूर्वज सीरीज़ में राम समुझ मिश्र
hamare purwaj series mein ram samujh mishr
Devi Prasad Mishra
देवी प्रसाद मिश्र
और अधिकदेवी प्रसाद मिश्र
राम समुझ मिश्र मामूली आदमी नहीं थे—पीसी रेन के अँग्रेज़ी व्याकरण से
अँग्रेज़ी सीखी थी और कहते थे कि उच्चारण रंदवू है रेंडेज़वस वग़ैरह नहीं।
गांधी के नेतृत्व में आज़ादी की लड़ाई लड़ी, विधायक हुए—धोती कुरता
पहनते थे, सारस की तरह चलते थे, और जितने थे उससे कम चालाक नहीं
लगते थे। पैसा लेकर नियुक्ति की और लंगोट से कमज़ोर हैं यह अप्रकट नहीं
रहने दिया। सोशलिस्ट थे इस अर्थ में भी कि तरह तरह की स्त्रियों के साथ
सहवास के बावजूद ब्राह्मणी जो पत्नी थी को को-ऑपरेटिव का अध्यक्ष बनाए
रखा और कॉलेज के हर फ़ंक्शन में उनसे घंटे भर लंबा भाषण दिलवाया
जिसमें वह आधे घंटे से ज़्यादा इसकी और उसकी जय करवाती थीं। लखनऊ
से इलाहाबाद जाते हुए लालगंज में उनके नाम का स्कूल है। ठीक से न भी
देखिए तो वह चीनी मिल की तरह लगता है। स्कूल को उन्होंने तेल मिल की
तरह चलाया मतलब कि गन्ना पेरो, सरसों या आदमी एक ही बात है।
- रचनाकार : देवी प्रसाद मिश्र
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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