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चुंबन

chumban

मंगलेश डबराल

और अधिकमंगलेश डबराल

    चुंबनों का इतिहास मनुष्य जाति की ही तरह प्राचीन है लेकिन वह मशहूर या सबसे लंबे या सबसे संक्षिप्त चुंबनों के नीरस वर्णनों या विज्ञापनों से ज़्यादा कुछ नहीं है। चुंबन एक ऐसी घटना है जो इतिहास के बाहर होती है। एक बिल्कुल अवास्तविक संसार में स्त्री-पुरुष के दीप्त होंठ परस्पर इतने पास जाते हैं कि उनकी सिहरन भी सुनी जा सकती है। शरीर का तमाम रक्त होंठों की ओर दौड़ रहा है सारे विचार होंठों पर इकट्ठा हो चुके हैं एक नम हृदय होंठों तक पहुँच गया है और आत्मा भी वहीं निवास करने लगी है। यह एक ऐसा क्षण है जब एक फूल खिलता है कोई छोटी-सी चिड़िया उड़ान भरती है कहीं तारे चमकते हैं पृथ्वी के नीचे के पानी बहने की आवाज़ आती है लेकिन प्रकृति की ये सहज चीज़ें अस्तित्व को कँपा देने वाले तरीक़े से घटित होती है। अंततः रक्त पीछे लौटता है और हृदय उसे पूरे शरीर में भेजने की अपनी पुरानी भूमिका निभाने लगता है। विचार दिमाग़ में पुनः प्रवेश करते हैं और आत्मा ज़िंदगी के बियाबान में लौट जाती है। अब सब कुछ सामान्य है। हम एक आँधी या एक आग से बचकर आए हैं। हम जीवित हैं और इतिहास में लौट चुके हैं और राहत की एक गहरी साँस ले रहे हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मंगलेश डबराल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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