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खेलमग्न तीन लड़कियाँ

khelmagn teen laDkiyan

अनुवाद : चंद्रकांत बांदिवडेकर

मंगेश पाडगाँवकर

मंगेश पाडगाँवकर

खेलमग्न तीन लड़कियाँ

मंगेश पाडगाँवकर

झोपड़ी के सामने नाले के बगल में

तीन बच्चियाँ करंजुवे खेल रही हैं

बचपन के कोमल हाथों में

करंजुवे को ऊँचे उछालकर लोक रही हैं

एक लड़की सुनहली रोशनी की राह से

हौले-हौले चलने लगी

अचानक अँधेरे के जंगल में पहुँची

जहाँ उस पर एक शेर ने झपट्टा मारा

झोपड़ी के सामने नाले के बगल में

तीन बच्चियाँ करंजुवे खेल रही हैं

बचपन के कोमल हाथों में

करंजुवे को ऊँचे उछालकर लोक रही हैं

दूसरी लड़की बाँसुरी सुनकर अभिभूत हुई

राधा की भाँति बिल्कुल वैसी ही तिरती चली

तिरती-तिरती जब वह ठिठक कर रुकी

बाट जोह रहे अजगर ने उसे

घेरकर लपेट लिया

उसे कसकर मृत्यु-फाँस में फाँस लिया

झोपड़ी के सामने नाले के बगल में

तीन बच्चियाँ करंजुवे खेल रही हैं

बचपन के कोमल हाथों में

करंजुवे को ऊँचे उछालकर लोक रही हैं

तीसरी बच्ची ने कहा : यहीं रहूँगी

नक्षत्रों का आसमान मैं यहीं से देखूँगी

ज़मीन पर उसका पैर मज़बूती से खड़ा था

फिर भी भूमि एकदम फट गई, और

देखते-देखते उसे पूरा निगल गई

झोपड़ी के सामने नाले के बगल में

तीन बच्चियाँ करंजुवे खेल रही हैं

बचपन के कोमल हाथों में

करंजुवे को ऊँचे उछालकर लोक रही हैं!

स्रोत :
  • पुस्तक : कविता मनुष्यों के लिए (पृष्ठ 92)
  • रचनाकार : मंगेश पाडगांवकर
  • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
  • संस्करण : 2006

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