अब भयावह नहीं लगता ये शब्द
क्योंकि अब ये आम की तरह खास नहीं
ज़िंदगी की फसल में
तनाव, महत्वकाँक्षा और अनिद्रा
से आने वाली खरपतवार को
जितना जल्दी हो सके
कीटनाशक डालकर ख़त्म कीजिए
वरना ये खरपतवार हँसती खेलती
फसल को बर्बाद कर सकती है
ज़िंदगी जीने के बजाए
हम गणित में लग जाते हैं
ऐसे में जाहिर है अपशिष्टों का आ जाना
पर अपशिष्ट लहरों के साथ
तलछट पर आकर
पार पा जाएँ तो अच्छा है
कम से कम ये अपशिष्ट
किसी शिष्ट को नष्ट तो नहीं करेंगे
जीवन के ईंधन के कोयले में
फूँक मारते रहिए
ताकि उसकी चमक बढ़ती रहे
उस फूँक से साँस फूलने पर
ज़िंदगी को थोड़ा ठहराव दीजिए
ताकि फिर ऊर्जा का थर्मामीटर
बढ़ पाए
इस जीवन को खाद बनाइए
जो मरने के बाद भी उपयोगी है
दुख, पीड़ा और तनाव में रहकर
फाँसी को गले लगाने के बजाए
उस पंखे और दुप्पट्टे को
आरोपमुक्त करिए
जिस पर बेवजह ही आरोप लगता है
खरपतवार की जब
किल्लियाँ निकल रही हों
तभी नष्ट करिए
ताकि जीवन की फसल
हवा की रवानगी में लहरा पाए
एक दिन वो कट जाएगी
ऐसा सोच कर आज का दिन
मत बर्बाद करिए
पहले आज को जी लीजिए
फिर कल की कल देखेंगे।
- रचनाकार : मीना प्रजापति
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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