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ख़ाली पटरियाँ

khali patriyan

ममता बारहठ

ममता बारहठ

ख़ाली पटरियाँ

ममता बारहठ

और अधिकममता बारहठ

    ख़ाली पटरियों जैसा रास्ता है

    तुम्हारे घर का

    मैं किसी को भी चुनूँ

    वह तुम पर ही आकर रुकेगा

    मेरे तुम्हारे बीच

    एक रात रहती है

    रात भर चलती हूँ

    नींद में अपनी

    सुबह तुम तक पहुँच जाने के लिए

    ये सफ़र की रात कितनी लंबी है

    क्यों सुबह का साथ

    रात होते-होते छूटने लगता है

    मैं हर रात तुमसे विदा होकर

    ख़ाली पटरी पर चलने लगती हूँ

    किसी सुबह तुम तक

    फिर पहुँच जाने को

    किसी रोज आऊँगी ज़रूर

    एक सुबह को साथ लेकर

    किसी रात

    तुमसे मिलने

    रात एक उड़ती रेलगाड़ी है

    ख़ाली पटरी

    एक पीछा है उसका...

    स्रोत :
    • रचनाकार : ममता बारहठ
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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