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खजूर

khajur

यशवंत कुमार

और अधिकयशवंत कुमार

    जो दवा दूध से खानी थी

    उसके लिए पानी से ज़्यादा

    कुछ भी उपलब्ध नहीं था

    पानी अगर अथाह नहीं होता

    तो पानी भी उपलब्ध नहीं होता

    शायद!

    डॉक्टर कहता है—

    दूध से दवा खाने से

    मर्ज़ तेज़ी से ठीक होगा

    और रोज़ आधा किलो

    मौसंबी का जूस पीने से

    और तेज़ी से…

    मैं पूछना चाहता था

    अगर खजूर खाएँ तो

    कितना तेज़ी से ठीक होगा

    पर मेरे शर्ट की दो बटनें टूटी थीं

    और कुहनी के पास

    बेमेल रंग की दो इंच की चकत्ती थी

    दूर से ही पता लग जाता था कि

    मैं ककड़ी ख़रीदने के लायक़ भी नहीं हूँ

    इसलिए खजूर का तो सवाल ही अप्रासंगिक था

    जैसे-तैसे मैं दवा लेकर घर गया

    दूध की दवा पानी से खाता रहा

    और अपनी लगातार मद्धिम होती दृष्टि से

    मौसंबी का फल देखता रहा।

    स्रोत :
    • रचनाकार : यशवंत कुमार
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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