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केवल निपजाने से क्या होता है

kewal nipjane se kya hota hai

विनोद पदरज

विनोद पदरज

केवल निपजाने से क्या होता है

विनोद पदरज

और अधिकविनोद पदरज

    कपास निपजाने से वस्त्र नहीं जाते घर में

    अन्न निपजाने से रोटी नहीं मिल जाती

    गन्ना निपजाने से मन कड़वा-कड़वा हो जाता है

    यही सोचकर बड़ा बेटा शहर को जाता है

    फ़र्ज़ कीजिए मुंबई

    जहाँ जुहू बीच पर भेलपुरी का ठेला लगाता है

    और रात गए

    दस बाई दस की खोली में

    बदरी, लड्डू, रामनिवास के बीच

    मुर्दे-सा पड़ जाता है

    पैसा कमाता है

    जिसे होली पर, दीवाली पर

    रात-रात भर जागकर

    जेबकतरों से बचता-बचाता

    गाँव ले जाता है

    मगर घोर आश्चर्य

    जब तक पहुँचता है वापस मुंबई

    पैसा पहले ही मुंबई पहुँच जाता है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : विनोद पदरज
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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