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कवियों के बारे में

kawiyon ke bare mein

हेमंत कुकरेती

हेमंत कुकरेती

कवियों के बारे में

हेमंत कुकरेती

और अधिकहेमंत कुकरेती

    कवियों के बारे में कोई कविता

    सारा कुछ नहीं बताती

    जैसे शब्दों के सिलसिले में

    अधूरे हैं तमाम शब्दकोश

    कवि मुश्किल से खुलते हैं

    उन्हें अपनी आँखों की तरह खोलना चाहिए

    भीड़ में वे रूठे हुए मिलते हैं

    बेहद चुप!

    अकेले में उनसे मिलो तो कम नहीं होती

    उनकी बेचैनी

    कुछ ही होते हैं ऐसे कवि

    जिन्हें सँभालकर रखना चाहिए

    फिर भी वे ज़्यादा देर तक नहीं बचते

    कई कवि

    अन्य कारणों से कवि कहलाते हैं

    उन्हें पहचानकर उनसे बात करो तो

    समाज का स्वास्थ्य ठीक रहता है

    शब्दों की रोटी खाते हैं कुछ कवि

    कुछ शब्दों का संहार करते हैं

    चमकदार बातें करने वाले ऐसे कवि

    अपने आप ही भुला दिए जाते हैं

    अपनी कविता को लेकर वाचाल कवि

    अक्सर आलोचक हो जाते हैं

    उनका मुहावरा उनके फ़ोन-नंबर से

    समझ आता है

    हमारे समय में जन्म-स्थान से तय होता है

    किसी का कवि होना

    ऐसे में जो कवि यह नहीं सोचते कि

    महान् होने के लिए उन्हें कहाँ मरना चाहिए

    वे चुपचाप लिखते हैं जीवन की कविता

    वही करते हैं शब्दों के द्वारा बड़ी लड़ाई संभव

    कवियों के बारे में

    कोई पूरी तरह नहीं जानता

    ऐसे कवि इसे जानते हैं और लिखते हैं

    स्रोत :
    • पुस्तक : नया बस्ता (पृष्ठ 23)
    • रचनाकार : हेमंत कुकरेती
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2002

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