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क्रैक-डाउन

crack down

अनुवाद : पृथ्वीनाथ मधुप

ग़ुलाम मुहम्मद शाद

और अधिकग़ुलाम मुहम्मद शाद

    क़यामत के दिन

    और भीड़-भाड़-सी है

    आधी रात—

    युवा बूढ़े वाणीहीन हुए-से हैं

    माताएँ बहनें लड़कियाँ बच्चे—

    सहमे-सिकुड़े भय से

    गर्दनें झुकाए जैसे भारी बोझ रखा हो इन पर

    नहीं देख किसी को सकता आँख उठाकर कोई

    जो जहाँ बैठ गया

    खड़ा बस वहीं मूर्ति-सा बैठा रह गया

    उसके पाँवों में कील ठुँक गए हों जैसे

    सिर के बाल पकड़

    झोंपड़ी में से घसीटी गई कोई माँ

    पटकी सामने गई भीड़ के

    चाक गिरेबाँ से दामन तक उसका 'फ्यरन'

    बिना 'पोछ'

    लिपटा जो तन से चिथड़ा-सा

    ऐसे में—

    मासूम एक बच्चे को खड़ा किया गया

    और उससे लगे पूछने

    कहो कौन था वह दढ़ियल

    तुम्हारे घर में मेहमान?

    रोशनी कर पूरी रात करता रहा क्या?

    भोर होते ठोर वह किस ओर चल पड़ा?

    घर तुम्हारे उसने पिया क्या?

    सच-सच बता

    खा लिया क्या?

    सच-सच कहो तो बहुत ठीक है

    जो छिपाओगे

    बस एक पटाखे से

    तेरी जान हवा हो जाएगी

    खिजाँ की जानलेवा हवा में

    थरथराते काँपते पत्ते शाख़ के ज्यों

    हर लिए प्राण मासूम के जैसे दैत्य ने

    बोल फूटे जल्दी तभी

    क़हर बरपा किया खुरदुरे हाथ ने

    तोड़ के रख दिए गए उसके अंग

    हाथों और लातों से

    था वह जैसे जन्म से ही हकलाता

    रोते हुए मासूमियत से कहा

    मा...ओ...म...न...है....मुझे

    तीन दिन शे हैं हम—

    भूखे ही सोते रहे

    कैसे चूल्हा जये

    दाने

    पाश अपने हैं ही नहीं

    घल हमाले कोई मंगता आता नहीं

    अतिथि?

    कौन है जो हमाले घल आएगा

    माँ चलखा चलाती रात-दिन है शुनो

    बश इशी शे—

    साफ़ उसको दिखता नहीं

    ध्यान से देख लो

    पकल लाए हो क्यों—

    यही माँ मेली

    फफक रो पड़ती यह माता, मगर

    मनाही बिलखने की भी है यहाँ

    वह विलपती—

    है आँसू बहाना मना

    हाल अपना सुनाती

    कौन सुनता यहाँ

    घेर लेतीं कितनी ही आँखें उसे

    शाप था कलाशनिकोंव का इन्हें

    क्रैक-डाउन से ये

    बहुत भीत था।

    स्रोत :
    • पुस्तक : उजला राजमार्ग (पृष्ठ 155)
    • संपादक : रतनलाल शांत
    • रचनाकार : ग़ुलाम मुहम्मद शाद
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2005
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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