Font by Mehr Nastaliq Web

कहीं, कुछ खो गया है

kahin, kuch kho gaya hai

दूधनाथ सिंह

दूधनाथ सिंह

कहीं, कुछ खो गया है

दूधनाथ सिंह

और अधिकदूधनाथ सिंह

    कहीं कुछ खो गया है

    ऐसा जो कभी नहीं था, कहीं नहीं था

    हर चीज़ एक खोखले अट्टहास में गूँजती हुई...

    अनिद्रित, आशंकाग्रस्त...। सन्न सन्न

    हवा चलती है। सब-कुछ जहाँ का तहाँ, जैसा का तैसा—

    रूप, रंग, अवस्थाएँ...। पृथ्वी पूर्ववत् व्यवस्थित—असहाय।

    लेकिन कहीं कुछ खो गया है ज़रूर

    और यह महसूस करना, स्वयं

    उपहसित होना है।

    नींद में अचल एक मकान, एक नदी, एक नगर—

    कहीं सुबह, कहीं साँझ, कहीं रात,

    एक ही क्षण के अंतराल में

    अनेक छायाएँ... सब

    कहीं खोई हैं।

    एक मचान पर बैठी सहानुभूति

    चिड़ियों के झुंड उड़ाती है—

    अर्थहीन प्रारंभ के पूर्व ही विलीन होती एक चीख़...

    और यह सब महसूस करना, स्वयं

    उपहसित होना है।

    सृजन : जैसे मासूम चेहरे पर

    चमड़े के गोल-गोल लट्टू उग आएँ।

    मरे हुए इकलौते शिशु की अनंत खिलखिलाहटों की झाँझ...

    पिघलते हुए लोहे की बारिश का स्वर, या अंतरिक्ष पार

    एक अजनबी धूप के बहने का शोर।

    कथित, अकथित :—घुले हुए, रंगहीन रंग

    सूनेपन को पुकारती सूनेपन की आवाज़।

    घाटी, पर्वत या गुफा या मज़ार

    धधकती आग और आदमी को फ़तह करती

    वही-वही आदिम प्यास...

    हाय रे! तू... आदमज़ाद!

    ये तेरे मन में कैसी-कैसी व्यथाएँ हैं!

    और यह सब महसूस करना, स्वयं

    उपहसित होना है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : अपनी सदी के नाम (पृष्ठ 24)
    • रचनाकार : दूधनाथ सिंह
    • प्रकाशन : साहित्य भंडार
    • संस्करण : 2014

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए