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कहीं और करेंगे हम अपने बच्चे पैदा

kahin aur karenge hum apne bachche paida

गौरव सोलंकी

गौरव सोलंकी

कहीं और करेंगे हम अपने बच्चे पैदा

गौरव सोलंकी

और अधिकगौरव सोलंकी

     

    उन सबके लिए जो हक़ माँगते हुए मरे। शर्मिंदगी के साथ।

    यूँ छिपो नहीं ओट में
    आओ बाहर आओ
    देखो सब ठीक है ना!
    और तो और,
    पहली बार इस ज़िद्दी गाय ने नहीं माँगे दुहने के लिए तुम्हारे ही हाथ
    और यह बल्ब भी जल रहा है
    जो हमारी शादी से पहले से फ़्यूज़ था

    उन्होंने माफ़ी माँगी है सच में अपने बर्ताव के लिए
    यह भी अख़बार में छपा है कि हम भी आदमी हैं
    है हमारी ज़मीन आदमी की ज़मीन और हमारा रोना आदमी का रोना
    और अख़बार वेश्या नहीं रहे, अख़बार हो गए हैं

    जब वे पछतावे में रो रहे थे कल रात,
    मैंने देखा पास से कि उनके सिपाही मशीनगन नहीं हैं,
    वे भी मांस से बने हैं
    नहीं रोक पाते वे भी ज़्यादा देर साँस।
    हाँ, यह ज़रूर है कि अपने बच्चों की तस्वीरें जेब में रखकर भी
    उन्हें आता है चलाना गोली।
    यह कमाल है ना!

    और बेफ़िक्र रहो, अब अपने शहरों में सो रहे हैं वे सब
    यह हम सबका समय है
    इस समय किसी पैदल आदमी पर से नहीं गुज़र रही कोई रेलगाड़ी
    कोई दीवार नहीं ढहाई जा रही
    जिसके उस पार किसी के नाराज़ बच्चे
    आसमान से रोटी गिरने का इंतज़ार कर रहे हों
    और नहीं जीती जा रही कहीं भी बच्चों से कोई मुठभेड़
    किसी अकेली औरत को किसी भी मैदान में नंगा करके
    नहीं जीती जा रही कोई भी जंग भी,
    बल्कि जंग कहाँ है कोई इस ख़ूबसूरत धरती पर?
    बस जंग के चुटकुले बच्चे एक-दूसरे को सुनाते हैं
    बहुत हँसाते हैं

    और मुझे लगता है कि अपने शहर में जब वे जगेंगे
    तो अपने महलों की ईंटें तोड़कर खाएँगे
    या फिर निकालेंगे अपनी बंदूक़ों की गोलियाँ और पानी के साथ
    निगल लेंगे
    हाईवे कितना भी बड़ा हो
    और किसी भी जन्नत से किसी भी जन्नत तक जाता हो
    मुझे नहीं लगता कि उस पर उगाया जा सकता है गेहूँ

    सब ठीक है अभी देखो बाहर
    एक बच्चा रोया भी और उसे गोली नहीं मारी गई।
    ऐसे क्यों देखते हो?
    मुझे पता था कि तुम नहीं करोगे मेरा यक़ीन
    कि मैंने एक ख़ुश कोयल देखी, जब तुम चादर तानकर सो रहे थे
    एक आम भी पक गया देखो इतना पहले
    छूकर देखो ना, दबाकर,
    हाँ, चखकर भी, और थोड़ा मुझे भी खिलाओ ना मेरे बच्चे

    पागल, यह जो आग दिखती है, यह तो आग जैसा कुछ और है
    यह छत पर किसी लड़की का बाल सुखाना है
    जिसका एक बार भी बलात्कार नहीं हुआ, 
    यह डर नहीं
    डरकर भागने का कोई खेल है उनका
    जिसमें वे बच्चे भाग रहे हैं
    और यक़ीन करो, ज़िंदा हैं उन सबके पिता
    जेल महज़ एक शब्द है जिसका अर्थ भी अब कोई नहीं जानता

    और ये जो गोली तुम्हारे पैर में है
    इसे गोली नहीं समझो,
    दीदी कह रही थी कि इनकी आदत डालनी होगी अब बस हमें
    और सब कुछ जादू की तरह ठीक हो जाएगा
    बस जैसे तुमने फावड़ा चलाना और मैंने रोटी बेलना सीखा था 
    ठीक वैसे ही हमें नहीं मरना सीखना होगा

    और जब वे गोली दाग़ेंगे,
    दाग़ेंगे नहीं, बस फ़र्ज़ करो कि दागी तो,
    तब मैं तुम्हारा हाथ पकड़ लूँगी
    और ब्याह की तरह हँसूँगी

    यहाँ नहीं तो कहीं और करेंगे हम अपने बच्चे पैदा
    तुम्हारी आँखों और मेरी नाक वाले या मेरी आँखों और तुम्हारी नाक वाले
    या कैसे भी, बस ऐसे बच्चे
    जिनके खेल का कोई भी क़दम किसी बारूदी सुरंग पर नहीं पड़ेगा
    हम उनसे सीखेंगे जन्म लेना और जीना
    और उन्हें दुनिया का सबसे पवित्र हँसना सिखाएँगे

    वैसे भी कब तक मारेंगे हमें मेरी जान
    एक बार से ज़्यादा नहीं मारा जा सकता एक आदमी को।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सौ साल फ़िदा (पृष्ठ 138)
    • रचनाकार : गौरव सोलंकी
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
    • संस्करण : 2012

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