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कबीर सिंह

kabir sinh

आयुष झा

आयुष झा

कबीर सिंह

आयुष झा

और अधिकआयुष झा

    कहते हैं आशिक़ों की कोई जाति नहीं होती

    लेकिन तुम तो आशिक़ों में भी सवर्ण निकले कबीर सिंह!

    उन दलितों का क्या जो रिश्ते बचाने की ख़ातिर

    आत्मसम्मान तक गिरवी रख देते हैं

    यहाँ तक कि बेदख़ल हो जाते हैं अपने आपसे

    पीओगे उसके हाथ का पानी

    फूँकोगे साथ बैठ सिगरेट?

    कल्पना करो कि प्रीत की नींव रखने वाली प्रीति को

    समय ने अगवा कर लिया हो

    बाँध दिया हो उसके कलेजे पर पत्थर

    तुम दूर से महसूस करो

    कि वह पल-पल मर रही तेरे बिना

    और पास आओ तो कहे

    कि नफ़रत करती हूँ तुमसे कबीर

    तुम हार जाओगे कबीर सिंह

    हार जाओगे

    हार यह नहीं कि वह तुमसे प्यार नहीं करती

    हार यह कि वह तुमसे प्यार नहीं करके भी प्यार करती है

    प्रेम में साथ रहना तो

    दर्शकों का दिल जीतने में सक्षम

    एक डेढ़ मिनट का ट्रेलर मात्र है

    फ़िल्म की अस्ल शुरुआत तो बिछड़ने के बाद होती है

    ये जात-पात, ऊँच-नीच की खाई, व्यस्त दिनचर्या और उस पर भी आत्ममुग्धता

    ये सबके सब विलेन हैं

    अखाड़े में दंड पेल रहे बड़ी-बड़ी मूँछ वाले विलेन

    किस-किससे जीतोगे कबीर सिंह

    तुम हार जाओगे

    जीतना चाहते हो कबीर सिंह, मगर किससे?

    वे चाहते हैं हर दफ़े तुम ऐसा करो

    ताकि ढोंगियों के शिकारी कुत्ते नोच खाए तुम्हें

    किस मर्दानगी की बात कर रहे हो कबीर सिंह?

    लंगोट में मृदंग लटका कर घूमने से कोई इश्क़ में

    गवैया नहीं बन जाता!

    मर्दानगी तो लोहे पर धार चढ़ाने की प्रक्रिया है

    कृषि-ऋण तले दबे किसानों के पसीने से रही मिट्टी और गोबर की ख़ूशबू है मर्दानगी

    मर्दानगी है समय के क़ैद से प्रीति को रिहा करना

    मर्दानगी है प्रेम-प्रेम-प्रेम समय से परे—

    मर्दानगी है क़यामत की बातें क़यामत के बाद भी

    तुम्हारे चेहरे पर धूल फाँक रही ख़ानाबदोश दाढ़ी

    दिल के कटोरे में पड़ी रहमत की भीख है

    तुम इससे हमदर्दी के सिवाय और कुछ नहीं ख़रीद सकते

    और प्रेम तो समुद्र-मंथन की प्रक्रिया है

    देवताओं द्वारा छला जाएगा अमृत का घड़ा

    और तुम्हें दानव घोषित कर दिया जाएगा

    और तुम हो कि स्मृतियों की चिलम फूँक

    धुएँ से बनाओगे उसकी तस्वीर

    लेकिन गले मिलकर माफ़ी तक नहीं माँग सकते

    ड्रग्स और शराब में डूब भले कितने ही अच्छे

    तैराक हो जाओ

    लेकिन डूब मरोगे हर दफ़े उसकी हथेली में

    जब कोहरे के उस पार दूर कहीं से

    मुस्कुराती हुई वह बुदबुदाएगी :

    कबीर बीर बी र...

    स्रोत :
    • रचनाकार : आयुष झा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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