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लड़खड़ाते क़दम से सड़क पार कर रहा है एक नवयुवक

laDkhaDate qadam se saDak par kar raha hai ek nawyuwak

अनुपम सिंह

अनुपम सिंह

लड़खड़ाते क़दम से सड़क पार कर रहा है एक नवयुवक

अनुपम सिंह

और अधिकअनुपम सिंह

    क्योंकि प्रार्थनाएँ मंदिर में नहीं सुनी जातीं

    यह आग!

    जलती है

    बुझती है

    यह धुँध!

    छँटती है

    बरसती है

    सीलन वाली दीवारों पर

    फफूँदी-सी उग आई है

    यह उम्र

    और सीने में भरा बारूद

    सील गया है

    गर्म बारूदों की बोरी लादकर

    मेरी पीठ पर

    भेज दो

    मंदिर-मस्जिद के अहाते में

    जहाँ सिर झुकाकर

    चल रही हैं प्रार्थनाएँ

    जहाँ सबसे छोटा नमाज़ी

    पतंगों-सी उछाल रहा है

    टोपी अपनी

    चाहे बदल दो मेरा धर्म

    मेरा नाम

    लड़ा दो किसी भी तरफ़ से मुझे

    पड़ोसी मुल्कों में जासूसी के लिए

    रख लो सारी पहचान मेरी

    सरहद पर कँटीले तारों की बाड़

    और बर्फ़ में

    रेल की पटरियों-सा बिछा दो

    प्रयोगशालाओं की एक्सपायरी दवाइयों पर

    मुहर-सा ठोंक दो मुझे

    मेरी रीढ़ में रोप दो

    नस्ल विदेशी कुत्तों की

    भट्ठियों से निकली

    गर्म हवाएँ

    सुखा रही हैं हृदय का गीलापन

    चंद सिक्कों की तरह रात को

    बजती है नींद

    लाखों अर्ज़ियों के बाद भी

    भूख खा रही है

    अंतड़ियाँ मेरी

    जैसे जीते जी मौत की दावत हो

    काम कोई भी हो

    बस! लिख लो मेरा नाम

    अपने रोज़गारी रजिस्टर में

    जहाँ लगा सकूँ मैं

    हाज़िरी अपनी...

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनुपम सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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