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जीवित रहने के लिए

jiwit rahne ke liye

आसित आदित्य

आसित आदित्य

जीवित रहने के लिए

आसित आदित्य

कभी-कभी भरी दुपहरी बाबा को सोता देख

भाग जाना चाहिए चुपके से आम की बगिया में,

कभी-कभी बेसिन में पलट देना चाहिए दूध का गिलास,

स्कूल की चाहरदीवारी फाँद फ़िल्म देखने जाना

बुरा होता होगा तो हो पर कभी-कभी कर लेना चाहिए ये भी

कभी-कभी महज़ इसलिए भी देखने चाहिए सपने

कि साँस लेती रहे सपनों के पूरे होने की उम्मीद

प्रेम को बचाए रखने के लिए भी कभी-कभार

विरह की फटी चादर ओढ़ कर लेना चाहिए प्रेम

रो लेना चाहिए बेवजह आधी रात भी कभी

आख़िर तकियों-बिछौनों को भी तो

आपस में फुसफुसाने के लिए चाहिए कहानी कोई!

कभी-कभार

केवल इस लिए भी लिख लेनी चाहिए कविता

कि ठहर कर ज़हरीला ना हो जाए कहीं

दिल के तालाब में दुःख का पानी।

स्रोत :
  • रचनाकार : आसित आदित्य
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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