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झारखंड एक्सप्रेस-14

jharkhanD express 14

अरुण चंद्र राय

अरुण चंद्र राय

झारखंड एक्सप्रेस-14

अरुण चंद्र राय

और अधिकअरुण चंद्र राय

    गोमो आकार

    पूरी तरह भर जाती है

    झारखंड एक्स्प्रेस

    ठसाठस

    कई बार मज़दूरों को देखकर भ्रम भी होता है

    कि भरी हुई हैं कोयले की बोरियाँ।

    गोमो वही स्थान है

    जहाँ अँग्रेज़ों की गिरफ़्त से भाग निकले थे

    सुभाष चंद्र बोस

    लेकिन यहाँ के लोग अब भी गिरफ़्त में हैं

    कोयला माफ़िया के

    लकड़ी माफ़िया के

    रेत माफ़िया के।

    निरसा, कुमारडुबी, टुंडी, गोविंदपुर जैसे सुदूर इलाक़ों से

    आते हैं लोग झारखंड एक्सप्रेस पकड़ने

    आने को दिल्ली या फिर इससे आगे

    निरसा का ज़िक्र होने से

    याद आती है कॉमरेड गुरुदास चटर्जी की

    जो शहीद हो गए

    कोयला माफ़ियाओं से लड़ते हुए

    जो शहीद हो गए

    मज़दूरों और कामगारों की आवाज़ बुलंद करते हुए

    लेकिन आज उनकी धरती से ही विस्थापित होकर

    युवा लड़के-लड़कियाँ पलायन कर रहे हैं

    रोशनी की तलाश में

    जिसकी कोई गारंटी नहीं देता महानगर।

    गोमो आज ख़ामोश होकर देख रहा है।

    विस्थापन के ज़ख़्म।

    स्रोत :
    • पुस्तक : झारखंड एक्सप्रेस (पृष्ठ 32)
    • रचनाकार : अरुण चंद्र राय
    • प्रकाशन : ज्योतिपर्व प्रकाशन
    • संस्करण : 2021

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