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जाते हुए

jate hue

ममता बारहठ

ममता बारहठ

जाते हुए

ममता बारहठ

और अधिकममता बारहठ

    उसने पलटकर नहीं देखा

    उसकी पीठ पर लगी आँखें मेरी

    मुझ ही को देखती रहीं

    जाते हुए

    विदा में

    मेरा ही हिस्सा चला जाता है

    कहकर विदा मुझे

    और फिर पलटकर नहीं देखता

    कहने को गुज़र रहा है समय

    कैलेंडर बदल रहा

    कहने को मौजूद हूँ हर उस जगह

    जहाँ पुकारा जाता है मुझे

    अगर देख ले कोई बैठ कर

    क़रीब से मुझे और समय को

    तो उसे मैं खड़ी नज़र आऊँगी

    किसी स्टेशन पर

    डबडबाई मेरी आँखें आज भी

    टिकी नज़र आएँगी

    उस लौटती हुई आकृति पर

    जो आँखों ही से निकाल ले जा रही है

    प्राण मेरे

    देख रही हूँ ख़ुद को आज भी

    अपनी उन्हीं आँखों से

    जो उसकी पीठ से लगी

    देख रही है मुझे लौटते हुए वहाँ से

    कैलेंडर की गिनती हवा हो जाएगी

    समय उस दृश्य के क़रीब

    चक्कर लगाता महसूस होगा आज भी

    बिना उसके

    मेरा बढ़ती तारीख़ों से जुड़े रहना

    एक फ़रेब है आज भी

    उस रोज़

    मैंने अपनी ही आँखों से देख लिया

    विदा होते ख़ुद को

    तुम्हारे लौट आने के इंतज़ार में

    ये आँखें

    मुझ ही पर बनी रहती है

    तुम्हें आता देख दूर से

    जो मैं सँवरने लगती हूँ

    कभी-कभी

    ये आँखें देख लेती हैं

    लौटते हुए मुझ ही को

    तुम्हारे बहाने से।

    स्रोत :
    • रचनाकार : ममता बारहठ
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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