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जन्मदिन

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सत्यम तिवारी

सत्यम तिवारी

जन्मदिन

सत्यम तिवारी

और अधिकसत्यम तिवारी

     

    एक

    रहने को अपनी 
    अनमन्यस्यकता के बावजूद भी
    बचे रहते हैं 
    दुनिया में कुछ लोग

    दिन नहीं बनता
    नहीं बना आज भी कोई 
    सहचर, साथी, संवाद जैसा कुछ

    शुभकामनाओं में 
    विलाप अधिक है
    कामना कम 
    कि ख़ुश रह

    वैसे नहीं जैसे रहते हैं
    स्वयं से भी 
    असहाय लोगों को देखकर
    मृतप्राय लोग

    दो

    मैंने अपनी असली उम्र
    एक तस्वीर के पीछे छुपा दी है
    दुनिया का हर व्यक्ति
    अब मुझे हमउम्र लगता है

    मैं अगर अपनी जगह नहीं
    तो मेरी जगह एक मकड़ी है
    जिसे साफ़-सफ़ाई के दौरान
    लोग घरों से बुहार फेकेंगे

    तुम्हारी मनमानियों ने मुझे
    दुकानों में चलने के अयोग्य बनाया
    मैं किसी की अठारह बरस पुरानी कविता हूँ
    देवता को चढ़ाए सिक्के की तरह
    मुझे ख़र्च करने पर तुम्हें पाप लगेगा

    सब कुछ छोड़कर मैं कविता तो कर सकता हूँ
    लेकिन कविता छोड़कर मुझसे कुछ भी नहीं होगा
    बचपन में एक पाँव, यौवन में दूसरा
    मेरी असली उम्र उन दो आँखों में क़ैद हैं
    जिन्हें मैंने एक तस्वीर के पीछे छुपा दिया है
    बहुत गहरी।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सत्यम तिवारी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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