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ईसा की जो खाल बेच दें उन्हें मिली इन्जील

isa ki jo khaal bech den unhen mili injil

संजय चतुर्वेदी

संजय चतुर्वेदी

ईसा की जो खाल बेच दें उन्हें मिली इन्जील

संजय चतुर्वेदी

और अधिकसंजय चतुर्वेदी

    आतंकी हैं परगतिशील

    ज़िनाकार-हत्यारे-तस्कर सभी हुए जिबरील

    वामपंथ से हाल मिल गया

    मालपंथ से माल मिल गया

    कलापंथ में अख़बारों में

    उनको सुघड़ दलाल मिल गया

    एक हाथ में मक्कारी है एक हाथ क़ंदील

    बड़े शहर का ये आलम है

    हर दल्ला साहिब-ए-हशम है

    हम नंगे तो घोर जहालत

    वो नंगे तो कलाकरम है

    उनको जो नंगा बोले उसकी निगाह अश्लील

    कल्चर के जो मालबटोरा

    सरमाए के रिश्वतख़ोरा

    उन्हें खुली 'आज़ादी' इसकी

    कर कुकर्म सम्मान-चटोरा

    हर ज़लील हरकत के हक़ में उनके पास दलील

    पाँच सितारा अपरम्पारा

    लगा उसी में लाल सितारा

    जिसको फ़ौजें हरा पाईं

    उसे चरकटों ने दे मारा

    ईसा की जो खाल बेच दें उन्हें मिली इन्जील।

    स्रोत :
    • रचनाकार : संजय चतुर्वेदी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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