Font by Mehr Nastaliq Web

इस अशीर्षक समय में

is ashirshak samay mein

कुमार अनुपम

कुमार अनुपम

इस अशीर्षक समय में

कुमार अनुपम

और अधिककुमार अनुपम

    अँखुवे झड़ रहे हैं जबकि पतझर का मौसम दूर है सड़कों पर सर पटक रही है रगों में उफनती राप्ती बाढ़ के नियमित आषाढ़ को धकियाती साँय साँय की चीख़ सायरनों में प्रखर कई गुना जबकि बिजलियों आँधियों की ऋतु दूर है बहुत जो उपस्थित है साक्षात् में अनुपस्थित भी दिख जाता है सरापा नग्न इस अशीर्षक समय में आत्मा की खुरचन है साँस साँस जिन पर धमाकों की क़तार मार्च कर रही है अनागत नींद तलक अतृप्ति का पहरा है आश्वस्ति की घोषणा प्रसारित हो रही है—‘स्थिति तनावपूर्ण किंतु नियंत्रण में’—खुला है ‘बलरामपुर मॉर्डन स्कूल, बलरामपुर’ की गणित की कक्षा में श्री टी. एन. मिश्र की बेंत सुनने वाली है उन्नीस का पहाड़ा और कुछ ढीठ छात्र बीस के पहाड़े की सरलता से बढ़ गए हैं कॉपी के पिछले पन्ने के लोकतांत्रिक मैदान में कट्टम बट्टम खेलने की चुपचाप ज़िद में मशग़ूल हैं आतंक से नि:स्पृह जैसे एक स्कूल ही बना देता है इतना कुंद इतना बेशर्म इतना पत्थर इतना बाइज़्ज़त कि फिर ज़ोर आज़माइश किसी भी दर्द की उनके लिए कट्टम बट्टम को सीधी चपल सेखा से मिलाने जीत जाने की मोहताज भर है कि समाप्ति इस खेल की घंटा ख़त्म होने के बाद भी नहीं है सुनिश्चित इन्हीं शोहदों के जीवट के प्रति उस्ताद ग़ालिब ने समर्पित किया होगा ग़ज़ल का पूरा एक मिसरा, ‘दर्द का हद से ग़ुजरना है दवा हो जाना’ लाज़िम है जनाब सोचना ही यह कि कर्फ़्यू में समय है समय में शहर है शहर में खुला है स्कूल स्कूल में गणित की कक्षा कक्षा में गणित अध्यापक श्री टी. एन. मिश्र हैं और बच्चे भी कितना असंगत हैं यह सब मगर इंद्रियों के बिना भी जो देखा जा रहा सुना जा रहा भोगा जा रहा सहा जा रहा अथाह जघन्य और असह्य (निढाल नाख़ूनों से खुरचते हुए हृदय सपने प्रतिभा जन्म और मनुष्यता का पश्चाताप...) उस बहुत कुछ से भरे जा सकते हैं इतिहास के पोथन्ने अनगिन से तो कमतर ही हैं इस ढीठ कवि का यह अक्षम्य अपराध महापंडितों नृतत्वशास्त्रियों वैज्ञानिकों राजनीतिज्ञों कलावंतो गणितज्ञो दंड दें कि आप मूर्तमति के समक्ष मैं अमूर्तमति नहीं कर सका समय का संकीर्तन पाठ कि इसे पिछले पन्ने पर लिखी कुछ सतरें ही मानें महज़ कि आप पारित कर सकते हैं अध्यादेश ऐसे कि अब बची है अधिक संवेदना सिर्फ़ संवेदी सूचकांक में ही।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बारिश मेेरा घर है (पृष्ठ 30)
    • रचनाकार : कुमार अनुपम
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2012

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए