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मेरे साहब, मेरे राजा

mere sahab, mere raja

चंद्रेश्वर

चंद्रेश्वर

मेरे साहब, मेरे राजा

चंद्रेश्वर

और अधिकचंद्रेश्वर

    मेरे साहब, मेरे राजा

    आप क्या खाते होंगे

    किस खेत का अनाज

    किस बाग़ का फल

    क्या कभी चूसा होगा आपने

    गन्ने का रस

    क्या कभी खाया होगा भरपेट

    गाँव के कोल्हुआरे का ताज़ा गुड़

    कैसे खा सकते हैं भला

    मिठास का रोग जो है आपको

    मेरे साहब, मेरे राजा

    कितने बड़े महल के कितने बड़े कमरे में

    कितने बड़े पलंग पर सोते होंगे आप

    आपकी लंबाई तो होगी उतनी ही

    यानी साढ़े तीन हाथ ही

    मेरे साहब, मेरे राजा

    सिंहासन चाहे जितना हो बड़ा

    बैठने की जगह तो छेंकते हैं सब बराबर ही

    मेरे साहब, मेरे राजा

    आपके पास होगा तो होगा

    अरबों का बैंक बैलेंस

    अरबों का सोना

    एक ही बार में सब खा तो नहीं जाएँगे आप

    मेरे साहब, मेरे राजा

    क्या आपकी मेम साहब कि रानी साहिबा ने

    कभी पिलाई होगी आपको

    अपने हाथ से बनाकर

    गरमागरम चाय कि कॉफी

    कि खिलाई होगी तवे की गरम रोटी

    मेरे साहब, मेरे राजा

    क्या आपको नींद आती होगी मेरी तरह

    क्या आपको रूलाई आती होगी मेरी तरह

    क्या आपको हँसी आती होगी मेरी तरह

    क्या आपको भूख लगती होगी मेरी तरह

    क्या आप प्यार करते होंगे मेरी तरह

    क्या आप घृणा करते होंगे मेरी तरह

    क्या आप आज़ाद हैं मेरी तरह

    मेरे साहब, मेरे राजा

    आप किस बात के साहब

    किस बात के राजा

    हम हैं सबसे बड़े साहब

    सबसे बड़े राजा

    अपने मन के राजा।

    स्रोत :
    • रचनाकार : चंद्रेश्वर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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