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हम साथ मिलकर

hum sath milkar

कुशाग्र अद्वैत

कुशाग्र अद्वैत

हम साथ मिलकर

कुशाग्र अद्वैत

और अधिककुशाग्र अद्वैत

     

    हम साथ मिलकर
    पकड़ेंगे तितलियाँ*
    और उड़ा देंगे

    देखेंगे
    बहुतेरे सपने―
    कुछ को करेंगे पूरा,
    कुछ को
    भुला देंगे

    इतवारों को लगाएँगे पुराने गाने,
    साथ धोएँगे मटमैले कपड़े
    और झाग से खेलेंगे

    देर तलक
    तरतीब से
    घर बुहारेंगे

    एक-दो नहीं
    पाँच-पाँच बिल्लियाँ पालेंगे

    हम साथ मिलकर
    बिल्कुल अर्थहीन-सी लगती
    या बिल्कुल अर्थहीन हो गई
    या कहो बिल्कुल अर्थहीन
    कर दी गईं चीज़ों को
    बिल्कुल नए अर्थ सौंपेंगे

    घर के किसी
    वीरान पड़े कोने में
    नए नक्षत्र गढ़तीं
    चींटियों के लिए
    मूठी भर आटा डालेंगे

    हम साथ मिलकर
    अपने डरों के
    कपड़े उतारेंगे

    फिर रोएँगे
    या खिलखिलाएँगे

    साझा करेंगे
    बचपन की अच्छी-बुरी स्मृतियाँ
    फिर बच्चों-से हो जाएँगे

    हम साथ मिलकर
    आकाश की तरफ़,
    मेघों की तरफ़,
    पेड़ों की तरफ़,
    और-और लोगों की तरफ़
    बेहिचक, दोस्ती का हाथ बढ़ाएँगे

    अलस्सुबह, नाश्ते की मेज़ पर
    जो गीत किसी एक के मुँह पर चढ़ा होगा
    उसको हफ़्ते-दो हफ़्ते
    दफ़्तर की अकबक उबासियों में गुनगुनाएँगे

    और, शाम गए
    जब कहीं मिलेंगे
    उदासियों-उबासियों को
    रक्तिम सेब समझ
    दो-दो फाँक बाँटेंगे
    और, काट खाएँगे।
    ________________
    *व्लादिमीर नबोकोव और उनकी संगिनी वेरा, जो उनकी लिपिकार, अनुवादक, संपादक, प्रथम पाठक और प्रवाद तो यहाँ तक है कि उनकी अंगरक्षक भी थीं, जिनके साथ मिलकर वह तितलियाँ पकड़ते थे, के स्नेहिल संबंधों को याद करते हुए।

    स्रोत :
    • रचनाकार : कुशाग्र अद्वैत
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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