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हम नमन करी यहि माटी के

hum naman kari yahi mati ke

अनीस देहाती

अनीस देहाती

हम नमन करी यहि माटी के

अनीस देहाती

और अधिकअनीस देहाती

    राम-कृस्न कै भजन-कीर्तन,

    अल्ला कै संदेस हियाँ।

    कबिरापंथी मूड़ घोटाये,

    सिक्ख रखाए केस हियाँ।

    मेर-मेर कै खान-पान,

    मेर-मेर के भेस हियाँ।

    ना केउ नाबर, ना केउ जबरा,

    सबकुछ अहै बिसेस हियाँ।

    बैरी-दुस्मन का खेदि- खेदि,

    हम डाह बुताई छाती कै।

    हम नमन करी यहि माटी कै।

    जनम-भूमि जननी दुइनौ,

    अहैं सरग से बड़ी जहाँ।

    बनी पहरुआ सारी जनता,

    रहै सान से अड़ी जहाँ।

    जाति-धरम कै भेद भूलि सब,

    भें माला कै कड़ी जहाँ।

    गीता अउर कुरान-बाइबिल,

    अहै मुबारक छड़ी जहाँ।

    बाग-बगैचा, ताल-तलइया,

    परवत कै घाटी कै।

    हम नमन करी यह माटी कै।

    यहि माटी की कोखी हीरा,

    अउर रतनधन खान मिलैं।

    तुलसी, सूर, कबीरा, गालिब,

    कदम-कदम रसखान मिलें।

    आपन देस महान जहाँ पै

    कन-कन माँ भगवान मिलें।

    दया अउर ईमान-धरम बा,

    राम अउर रहमान मिलें।

    यहि खातिर अभिमान अहै

    हमका अपनी औकाती कै।

    हम नमन करी यहि माटी कै।

    जनता कै अस बड़ी हुकूमत,

    अउर देस मा अहै कहाँ।

    छोट-बड़ा सबकै एक इज्जत,

    अउर देस मा अहै कहाँ।

    प्यार-मुहब्बत अउर सराफत,

    अउर देस मा अहै कहाँ।

    हक्क बराबर, सुभ्भ मुहूरत,

    अउर देस मा अहै कहाँ।

    हमरे जिउ का पियार,

    जे काढ़ै आँख जिराती कै।

    हम नमन करी यहि माटी कै।

    रिसी, मुनी, पैगम्बर से,

    आपन देस महान बना।

    खुद के बूते दुनिया मा,

    आपन ऊँचा अस्थान बना।

    सब के महजिद चर्च बना।

    दया-धरम मान-अहिंसा,

    मिलके हिन्दुस्तान बना।

    रखवारी दिन-रात करी हम,

    पुरखन की परिपाटी कै।

    हम नमन करी यहि माटी कै।

    हम हराम कै एक खाई,

    हेरा करी हलाल सदा।

    सान्ति-अहिंसा कै पुजवइया,

    टारा करी बवाल सदा।

    जे हमरी मू आँख देखाये,

    ओकरी खातिर काल सदा।

    जेकरे करे कौनो करतब नाही,

    उहै, बजावै गाल सदा।

    बालक-बूढ़-जवान सबै मिलि,

    मानैं बात देहाती कै।

    हम नमन करी यहि माटी कै।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनीस देहाती
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए शैलेंद्र कुमार शुक्ल द्वारा चयनित

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