हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था
hatasha se ek wekti baith gaya tha
विनोद कुमार शुक्ल
Vinod Kumar Shukla
हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था
hatasha se ek wekti baith gaya tha
Vinod Kumar Shukla
विनोद कुमार शुक्ल
और अधिकविनोद कुमार शुक्ल
हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था
व्यक्ति को मैं नहीं जानता था
हताशा को जानता था
इसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गया
मैंने हाथ बढ़ाया
मेरा हाथ पकड़कर वह खड़ा हुआ
मुझे वह नहीं जानता था
मेरे हाथ बढ़ाने को जानता था
हम दोनों साथ चले
दोनों एक दूसरे को नहीं जानते थे
साथ चलने को जानते थे।
- पुस्तक : अतिरिक्त नहीं (पृष्ठ 13)
- रचनाकार : विनोद कुमार शुक्ल
- प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
- संस्करण : 2000
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