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नफ़रत

nafar

अनिल कुमार सिंह

और अधिकअनिल कुमार सिंह

    नफ़रत को पहचानना आसान है

    क्योंकि वह अब एक प्रवृत्ति है

    अक्सर हमारे सबसे आत्मीय क्षणों

    में भी वह विद्यमान होती है

    हमारे भीतर

    ज़िम्मेदारियों से मुक्त होने का तो

    सबसे मुफ़ीद हथियार है ही वह

    आप बड़े आराम से कह सकते हैं

    मुझे नफ़रत है उन सबसे जिनके

    बीच पड़ रहा है मुझे रहना

    और निर्द्वंद्वता से बिता सकते हैं

    उनके साथ भविष्य के बीस साल

    और बीस साल बाद संभव है प्रस्तुत करें

    अपने अनुभव का निचोड़ कि

    दरअसल नफ़रत की ही थी वह मज़बूत

    डोर जिसने बाँधे रखा हमें इतने साल

    इस ज़माने में नफ़रत करते हुए

    जीना ज़्यादा आसान है बनिस्बत

    प्रेम करते हुए जीने के

    प्रेम करते हुए हो सकता है

    आपको रुकना पड़े किसी के

    सिर को थामे अपने कंधों पर थोड़ी देर

    जबकि आपको जल्दी है

    जाने की

    आगे की ओर!

    स्रोत :
    • पुस्तक : पहला उपदेश (पृष्ठ 72)
    • रचनाकार : अनिल कुमार सिंह
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
    • संस्करण : 2001

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