अमेरिका का प्यार

amerika ka pyar

विष्णु नागर

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अमेरिका का प्यार

विष्णु नागर

और अधिकविष्णु नागर

    अमेरिका चाहता है कि इस धरती के समस्त जन

    उसे प्यार किया करें

    क्योंकि उन्हें मालूम पड़ गया होगा कि

    वह दुनिया में कहीं भी, कभी भी, कुछ भी कर सकता है

    वह अफ्रीका में गंदगी पर भिनभिनाती एक मक्खी को ख़तरनाक घोषित करके उसे मारने के लिए फ़ौजें भेज सकता है

    और उस मक्खी के सिवाय

    सब कुछ को तबाह कर सकता है

    उसमें किसी को, कहीं भी, सरेआम लूटने, नंगा करने किसी के भी किसी भी नितांत निजी मामले में दख़ल देने

    किसी की भी रोज़ी-रोटी और आज़ादी छीन लेने की अद्भुत क्षमता है

    इसलिए अमेरिका चाहता है कि

    इस धरती के समस्त जन केवल उसे प्यार करें बल्कि प्यार करने का एक इक़रारनामा भी करें जिसका कि वक़्त-ज़रूरत

    उनके विरुद्ध इस्तेमाल किया जा सके

    वे प्यार करें मगर उससे यह पलटकर पूछें कि

    क्या वह भी उन्हें प्यार करता है

    क्योंकि यह प्यार करने के क़रारनामे के विरुद्ध है

    और इसलिए अमेरिका की बेइज़्ज़ती है

    और अमेरिका उनसे अपनी तौहीन करवाना कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता

    जो कि उसे प्यार करते हैं

    क्योंकि यह छूट तो उसने उन्हें भी नहीं दी है

    जो कि उससे प्यार नहीं करते हैं

    उससे प्यार करने की सज़ा है मौत

    जो कि संयोग से उससे प्यार करने का पुरस्कार भी है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : विष्णु नागर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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