हँसी में मत टालिए
hansi mein mat taliye
क्या आपको नहीं लगता
यही सबसे उपयुक्त समय है
जब सीमा पर दुश्मनों से
दो-दो हाथ करने की बजाय
अपने ही द्वारा रचे गए
चक्रव्यहू में लड़ रहा सैनिक
यह जान जाए कि
शहीद होने के जज़्बे से
कहीं अच्छा होता है
यह जान लेना
किसके लिए और क्यों
शहीद हुआ जाए
क्या
समय नहीं आ गया है
जब व्यवस्था से बौखलाया
बलदेव खटिक1 पागल नहीं
समझदार हो जाए
हवा में गोलियाँ चला कौवों को मारने की बजाय
अपना निशाना सही जगह पर साध गोलियाँ बरसाए
क्या
अब वक़्त नहीं आ पहुँचा है
जब सड़क पर पत्थर तोड़ता
पसीने से तर-ब-तर मज़दूर
खेतों में हल चलाता अधनंगा किसान
फटे बस्ते में फटी किताबों को सँभालता बच्चा
हथौड़ा, हल और बस्ता छोड़
खेतों से बाज़ार को जाती पगडंडियों
ठेकेदारों की चमचमाती कारों के बॉनटों
विश्वविद्यालय पर कुंडली मारे नागों के फनों पर
जा खड़ा हो
हा हा हा
ही ही ही
आप हँस तो नहीं रहे हैं
मैं कैसी हवा हवाई बातें कर रहा हूँ
मैं कहीं अपना
मानसिक संतुलन तो नहीं खो बैठा
आपके माथे पर चमक आई
पसीने की बूँदे
खोल रही हैं यह राज़
आप भी कहीं-न-कहीं यह जानते हैं
वह वक़्त आने ही वाला है
यक़ीन मानिए
जब वह समय आएगा
आपको पसीना पोंछने का
समय भी नहीं मिल पाएगा।
- रचनाकार : कुमार कृष्ण शर्मा
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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