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सुर्ख़ हथेलियाँ

surkh hatheliyan

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

सुर्ख़ हथेलियाँ

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

और अधिकसर्वेश्वरदयाल सक्सेना

    पहली बार

    मैंने

    भौंरे को कमल में

    बदलते हुए,

    फिर क़लम को बदलते

    नील जल में,

    फिर नीले जल को

    असंख्य श्वेत पक्षियों में,

    फिर श्वेत पक्षियों को बदलते

    सुर्ख़ आकाश में,

    फिर आकाश को बदलते

    तुम्हारी हथेलियों में,

    और मेरी आँखें बंद करते।

    इस तरह आँसुओं को

    स्वप्न बनते—

    पहली बार मैंने देखा।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्रतिनिधि कविताएँ (पृष्ठ 36)
    • रचनाकार : सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 1989

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