Font by Mehr Nastaliq Web

हमारी मुस्कुराहट : उनकी बैचैनी

hamari muskurathat unki bechaini

अनुवाद : राजेंद्र देथा

पारस अरोड़ा

पारस अरोड़ा

हमारी मुस्कुराहट : उनकी बैचैनी

पारस अरोड़ा

और अधिकपारस अरोड़ा

    पैरों में पड़ी है

    श्रमण धर्म की ज़ंजीरें

    और समझदार लोग

    चाहते हैं कि हम दौड़ें और

    ज़माने की दौड़ में आगे निकल जाएँ।

    हमारी भुजाओं को काट कर

    वे उम्मीद रखते हैं—

    हम भविष्य मे सुंदर मंदिर की सर्जना करें

    और वे अपनी टकसाली लक्ष्मी प्रतिमा की

    स्थापना करें।

    हमारी कनपटी पर वे हमेशा करते हैं

    अपने अधिकारी हथौड़े की चोट

    और हुक्म देते हैं—

    हम उनकी मौज के लिए

    मुनाफ़े की योजनाएँ बनाते हुए

    पूरे होते रहें और मरते रहें।

    कैसे हैं वे अयोग्य निर्बल किंतु धनबल वाले लोग

    जो हमारी हत्याएँ कर हमारे मुर्दों से माँग करते हैं—

    हम जीवित बलवान

    अक्लमंद मनुष्य की भाँति

    उनके काम साजें और साजते रहें।

    सोने की डोरियों के सहारे

    कठपुतलियों की भाँति

    शवों को उछाल-उछाल कर

    दर्शन करते हैं मदारी बने हुए

    वे शवों को नृत्य करवाने वाले।

    मौत मार खाकर भी

    कठपुतलियाँ बनने के बाद भी

    हमारे चेहरों पर पसरी मुस्कुराहट

    लोप नहीं होगी, जिसको देखकर

    उनके दिन तो क्या? रात भी नहीं कटेगी।

    बेचैनी बेचारी बढ़ती है, पर घटती नहीं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सदानीरा
    • संपादक : अविनाश मिश्र
    • रचनाकार : पारस अरोड़ा
    • प्रकाशन : सदानीरा पत्रिका

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए