Font by Mehr Nastaliq Web

हमारे समय में

hamare samay mein

रणधीर सिंह

रणधीर सिंह

हमारे समय में

रणधीर सिंह

और अधिकरणधीर सिंह

    रात सुंदर मानो निखरी हो मिलन के लिए

    पुरवाई के झोकों में गंध है चुंबन की आज

    मैं तो चाहता हूँ रचूँ गीत कोई महकाया

    खुशियाँ मेरी गहरी हैं

    जीना हर क़दम पर लेकर ग़म को साथ

    प्रीत के हर जीवंत कोसे क्षण को

    तुम्हारी याद के, सौ-सौ इच्छाओं वाले कोमल मन को

    छीलता निकल जाता है एक नाम टापू-सा

    मकरोनीसिस जिसके काँटेदार किनारों पर

    आँसू हैं यूनान के, बाग़ी पानी जिस पर

    श्रमशील युवक और युवतियाँ सुवासित

    जीवन-प्रेम के गंधयुक्त असंख्य गीत हैं

    प्रतिदिन क़त्लगाह में से निकलें एक दिन

    मौसम बहार का प्यार का, यौवन लदी

    धरती के हर आँगन में हँस पाए, खेल सके

    खिले तारे झुके रात की रानी को दे रहे संदेश

    चाहता मैं भी हूँ गाऊँ गीत संदेशमय

    लेकिन मेरे देश में घायल हैं आज सब संदेश

    और वहाँ गीत नहीं, रोती चूड़ियों का

    शोकगीत, हर यौवन, हरेक प्रेम के साथ

    जन्म रहा है, रातों का निखार

    पुरवा के झोंके, चुंबन की गंध

    ओह, लेकिन मन ही तो है भूल पाए

    ताज़ा सुबह में, भीने दक्षिण की गुमनाम युवती को

    जिसके खिले प्यार को डंक लगाते निकल चुके

    होंठ हाकिम के, विष-भरे, लालची

    और जिसके युवा रूप को

    जंगल की छाया, और सहारा राइफ़ल का है...

    चाँदनी, एक कोमल मद-सी रक्त में घुली है

    चाहता हूँ मैं तुम्हारे लिए गाऊँ एक प्रेम गीत

    हरेक प्यार आज दर्द ही बन चुका है

    और अत्याचार परखता है हर गीत के मन को

    पहले, धरती के जाए, अभी जीत नहीं पाए

    प्यार का अधिकार, पाना है उन्हें

    मकरोनिसिस, तिलंगाना हिकमत

    छाती की हर चाह ने

    प्यार से पहले फटना है अभी बारूद-सा

    क़ैदगाहें, क़त्लगाहें, मिटेंगी धरती से तभी

    और प्यार के गीत भी

    संग्राम के रास्तों पर छाया करेंगे, कुछ दिन और

    मैं प्रेमी हूँ, पूछो मेरी लंबी प्रतीक्षा से

    निखरती रातों के हर सूने पल से पूछो

    रात-रानी की उदास गंध से

    अपने मन से पूछो

    लेकिन रूप के बराबर होना

    आज पर्याप्त नहीं, प्यार की

    ख़ातिर हमारे प्रणय को अभी

    जीवन के हमउम्र होना है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बीसवीं सदी का पंजाबी काव्य (पृष्ठ 115)
    • संपादक : सुतिंदर सिंह नूर
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक फूलचंद मानव, योगेश्वर कौर
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2014

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए