हैंडपंप के पास वाली पटिया पर एड़ियाँ घिसती औरत
hainDpanp ke pas wali patiya par eDiyan ghisti aurat
अनुराधा ओस
Anuraadha Os
हैंडपंप के पास वाली पटिया पर एड़ियाँ घिसती औरत
hainDpanp ke pas wali patiya par eDiyan ghisti aurat
Anuraadha Os
अनुराधा ओस
और अधिकअनुराधा ओस
वह मुग़लसराय से मुँह अँधेरे आने वाली ट्रेन के आने से पहले
साबुन की बट्टी फटाफट घिसती है
अपनी झँवाई देह पर
और जल्दी से नहाकर निबट लेना चाहती है
इस क्रिया से
मानो उसे नौ बजे की ट्रेन पकड़कर
ऑफ़िस जाना हो
और एसी में बैठकर
लेनी हो कोल्ड कॉफ़ी की चुस्की
फटाफट निबटकर भीगी देह पर
पेटिकोट-साड़ी डालकर जल्दी से वहाँ से हटना चाहती है
इसके लिए वह मुँहअँधेरे ही उठ जाती है
किसी की धॅंसने वाली
पथरीली निगाहों से वह बच सके
एक दिन और
एक-एक दिन ख़ुद को बचाकर
अपने सपने को बचाती है
ताकि जल्दी से पहुँच सके
मैडम के अस्त-व्यस्त घर को सँवार दे
गोल फूली रोटियाँ सेंक दे
इससे पहले उसे
कंडे पर मोटी-मोटी रोटियाँ बनाकर रखनी होंगी
मुन्ने को पास के सरकारी स्कूल में
पहुँचाना होता है
पुरानी कील लगी चप्पलें घसीटती हुई औरत की देह
बाथटब का नहीं
रोटी के सपने देखती है।
- रचनाकार : अनुराधा ओस
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.