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हाफ़ स्वेटर

haaf svetar

चंद्रेश्वर

चंद्रेश्वर

हाफ़ स्वेटर

चंद्रेश्वर

और अधिकचंद्रेश्वर

    यह सफ़ेद धारियों वाला कत्थई रंग का

    हाफ़ स्वेटर

    मुझे मिला था चाचा से

    जिसे ख़रीदा था उन्होंने

    टाटा के गोलमुरी बाज़ार से

    मैं काट चुका हूँ इसी के सहारे

    कई-कई जाड़े

    कई बार तो हुआ है यह गुम भी

    एक बार गर्मियों में साफ़ करते हुए

    घर का कूड़ा-कचरा

    फेंक दिया था इसे भी घूरे पर

    मेरे भैया ने कि अचानक पड़ी

    मेरी नज़र

    और उठाकर रखा मैंने

    झाड़-पोंछकर

    टीन वाले बक्से में

    यह हाफ़ स्वेटर मेरी कमज़ोरी है

    इससे चिपकी है

    मेरी आत्मा

    जैसे मैं करता हूँ प्यार

    अपनी पुरानी क़लम से

    जिसे ख़ासतौर पर कविता लिखने के लिए

    मेरे एक सहपाठी ने दिया था

    जैसे मैं बचाए हुए हूँ

    अपना पुराना मफ़लर

    कॉलेज के दिनों का

    यह हाफ़ स्वेटर भी है

    इस हाफ़ स्वेटर को कहना अलविदा

    कितना मुश्किल

    जबकि एक-न-एक दिन होना ही है

    इसे तार-तार

    जैसै-जैसे होती जाती हैं चीज़ें पुरानी

    बढ़ता ही जाता है उनसे

    अपनापे का घनत्व

    एक छाता है, एक कंबल है

    बाबा का दिया हुआ

    एक छोटा चाकू भी है

    मेरे पास

    ईया का ख़रीदा हुआ

    ददरी मेले से

    मैं बाज़ार की दुकानों में पढ़कर

    एक स्टीकर कि फैशन के दौर में

    गारंटी की इच्छा करें

    होता हूँ बहुत आहत।

    स्रोत :
    • रचनाकार : चंद्रेश्वर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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