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गुमनाम

gumnam

रेनू यादव

रेनू यादव

गुमनाम

रेनू यादव

और अधिकरेनू यादव

    गुमनाम होना भी एक पहचान है

    और मैं गुमनाम हूँ

    अधजली रोटियों का कच्चापन

    पसाया हुआ माड़

    साग की अलुणाई

    कवर उठाए ऊँगलियों की पियराई

    सुड़की हुई चाए का बट्टा

    खा कर फेंकी हुई पतरी

    जाड़े में ककटा बर्तन

    कई दिनों से सड़ता डस्टबिन

    कंघी में फँसे बाल

    शीशे पर चिपकी बिंदी

    बलाई लेती सेनूर भरी दीवार

    कमीज की चिगूँरन

    उखड़े हुए बटन

    बिस्तर की सलवट

    मुँह लटकाएँ फूल

    छत पर जमें पीपल

    रात में घर की बुहारन

    घर लौटते क़दमों के कीचड़

    चाऊर की फटकन

    दाल की कंकड़

    दातून का चिट्ठा

    दऊरी की मूँज

    गड्ढे का नर्कट

    नहर की बेहा

    सड़क में घुली कोलतार

    बाज़ार में पिछवाड़े की दुकान

    साड़ी में मॉडल की तस्वीर

    अऊँसाती गर्मी

    घुप्प अंहार की दृष्टि

    गूलर के फूल

    भक्क से भभकती ढ़ीबरी

    चन्न से चटकता बल्ब

    बिना नाम के आख्यान

    सब तो गुमनाम ही है

    फिर भी होती ही हैं कहीं कहीं

    भला बयार की मासूम छूअन

    पानी का रंग

    शून्य का विस्तार

    गंध का बिखरना

    किसने देखा है

    किसने पहचाना है भला?

    स्रोत :
    • पुस्तक : .
    • रचनाकार : रेनू यादव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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