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मैंने जीवन वरण कर लिया

mainne jiwan warn kar liya

कृष्ण मुरारी पहारिया

कृष्ण मुरारी पहारिया

मैंने जीवन वरण कर लिया

कृष्ण मुरारी पहारिया

और अधिककृष्ण मुरारी पहारिया

    मैंने जीवन वरण कर लिया

    चलते-चलते चौराहे पर

    मचला मन जाने काहे पर

    फिर भी उस पथ चरण दे दिया

    जहाँ जल मिलता चाहे पर

    फिर जितने-जितने दुख आए

    उनको अपनी शरण कर लिया

    फूल नहीं खिलते मरुथल में

    तपती रेत अग्नि-सी तल में

    आशाएँ मुरझा जाती हैं

    दल की दल आतप हत पल में

    अपने उर का स्नेह बाँटकर

    शूलों को आभरण कर लिया

    स्रोत :
    • पुस्तक : यह कैसी दुर्धर्ष चेतना (पृष्ठ 21)
    • रचनाकार : कृष्ण मुरारी पहारिया
    • प्रकाशन : दर्पण प्रकाशन
    • संस्करण : 1998

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