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ग़ज़ब नीक लागइ इ संगम कइ नगरी।

ghazab neek lagai i sangam kai nagri.

अनुज नागेंद्र

अनुज नागेंद्र

ग़ज़ब नीक लागइ इ संगम कइ नगरी।

अनुज नागेंद्र

और अधिकअनुज नागेंद्र

    दौड़त की आवइ जहाँ दुनिया सगरी।

    ग़ज़ब नीक लागइ संगम कइ नगरी।

    भला एहकै महिमा कहाँ तक बखानी।

    हैं धूनी रमाए जहाँ संत ग्यानी।

    दुनिया मा एहकै अहै कउनो सानी।

    अमिरतौ से बढिके गंगा कै पानी।

    अनापत से भरि ल्या छलकै जलहरी।

    ग़ज़ब नीक लागइ संगम कइ नगरी।

    कि सासू-ननद, देवरानी-जेठानी।

    गदेलन के साथे मा दुइनव परानी।

    चला ननकवा छोड़ि खेती-किसानी।

    पूछेसि केहू तौ पतरका मखानी।

    अकेलइ चली लइके झोरा मा लुगरी।

    ग़ज़ब नीक लागइ संगम कइ नगरी।

    रेती मा चमकत अहै टेंट-बाड़ा।

    जमा साधू-संतन कै वोहमा अखाड़ा।

    चुवइ जमिके कुहिरा, परइ जमिके जाड़ा।

    बजइ खोब घमाघम धरम कै नगाड़ा।

    छिड़इ रामधुन तौ बजइ मन कै खंझरी।

    ग़ज़ब नीक लागइ संगम कइ नगरी।

    कि चारिउ मूं झंडा गड़ा लाल-पीला।

    कतउ परवचन तौ कतउ रामलीला।

    मनोहरा पहिरि साड़ी बनिके छबीला।

    देखावत रहा डांस बहुतइ लचील

    ओही पै फिदा होइ गवा दोस्त जिगरी।

    ग़ज़ब नीक लागइ संगम कइ नगरी।

    घरे मां जे सबसे झड़प कर्त बाटइ।

    भाइन कै हींसा हड़प कर्त बाटइ।

    हियाँ भोरहरिन से जप कर्त बाटइ।

    अँधेरेन से अस्नान-तप कर्त बाटइ।

    भटका मुसाफिर चलइ सोझ डगरी।

    ग़ज़ब नीक लागइ संगम कइ नगरी।

    सगियान-बुढ़वा-गदेला चला बा।

    भिनौखइ से संगम कै रेला चला बा।

    छिदाये गुरुजी का चेला चला बा।

    गजब पुन्नवासी कै मेला चला बा।

    घोड़इयाँ पै लरिका मूड़े पै गठरी।

    ग़ज़ब नीक लागइ संगम कइ नगरी।

    केहु नाव माँ चढ़िके फेरा लगावइ।

    केहु चीर-चुनरी माला चढ़ावइ।

    सुहागिन चलीं घिव कै दियना जरावइ।

    लगीं गीत गंगा की महिमा कै गावइ।

    लगावाथीं बुड़की दिहाती सहरी।

    ग़ज़ब नीक लागइ संगम कइ नगरी।

    कतउ घाट पै सिर मुड़ावत मिला केहु।

    साधू-महतिमा जेंवावत मिला केहु।

    कलब्बास केहुका करावत मिला केहु।

    लग्गा से पानी पियावत मिला केहु।

    घाटे पै पंडन कै रँग-रँग कै छतरी।

    ग़ज़ब नीक लागइ संगम कइ नगरी।

    भोजन लेहे हमहूँ डटके सिविर माँ

    मुला परवचन सुनिके अटके सिविर माँ।

    जौ मलकिन का देखे पलटके सिविर माँ।

    मिलीं जाइ वै भूले-भटके सिविर माँ।

    मसकत रहीं बइठि तिलवा घुघरी।

    ग़ज़ब नीक लागइ संगम कइ नगरी।

    हरेरी लउटत तौ सावन होतइ।

    कि फिर माघमेला मा आवन होतइ।

    अगर घाट संगम कै पावन होतइ।

    तौ दुनिया कै एहमाँ नहावन होतइ।

    अरघ देयं सूरज का जल एक अँजुरी।

    ग़ज़ब नीक लागइ संगम कइ नगरी।

    हियाँ सब महतिमा तौ सब पुजारी।

    चलइँ लइके एइ फॉरच्यूनर सफारी।

    कतहूँ केहु चिलमची, कतहुँ केहु जुआरी।

    ये नुस्खा बतावत फिरइँ लाभकारी।

    इहै सुनिके धई देइँ गोड़े पै पगरी।

    ग़ज़ब नीक लागइ संगम कइ नगरी।

    दुनिया भरे से आई बा दुनिया।

    सकेते मा कइसे समाई बा दुनिया।

    नेवता से नाहीं बोलाई बा दुनिया।

    मिलइ गंगा माई से आई बा दुनिया।

    खुली भागि हमरौ चला आए जबरी।

    ग़ज़ब नीक लागइ संगम कइ नगरी।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनुज नागेंद्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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