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उस दोस्त के लिए जिसने बाज़ार में पहचानने से इंकार कर दिया

us dost ke liye jisne bazar mein pahchanne se inkaar kar diya

तरुण भारतीय

तरुण भारतीय

उस दोस्त के लिए जिसने बाज़ार में पहचानने से इंकार कर दिया

तरुण भारतीय

क्योंकि तुम्हें लगा कि

लोग सोचेंगे कि मैंने पूछा

कैसे हो इन दिनों

और तुम्हें पुलिस बीट हाउस में

सोचना पड़ेगा कि तुम ने

क्या जवाब दिया?

क्या तुमने मंदिर कहा और हँसे

या फिर जंगल वाले रास्ते पर

जो रहती थी बूढ़ी प्रोफ़ेसर

उसकी फीकी चाय का पुराना मज़ाक़

इतिहास की कुछ बेवक़ूफ़ियों

के साथ—

और यह भी कि बेल पर रह रही है

एक पुराने शहर में

यही बेहतर है

कि हम चुपचाप

अपने झोलों को सँभालते

यह भी सोचें कि

मछली महँगी हो गई है

और परिवार दोस्तों

से बचने का नाम है

स्रोत :
  • रचनाकार : तरुण भारतीय
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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