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दुनिया की तमाम बातों में, सबसे ख़ूबसूरत होती है, प्रेम की बातें

duniya ki tamam baton mein, sabse khubsurat hoti hai, prem ki baten

वत्सला पांडेय

वत्सला पांडेय

दुनिया की तमाम बातों में, सबसे ख़ूबसूरत होती है, प्रेम की बातें

वत्सला पांडेय

और अधिकवत्सला पांडेय

    और स्त्रियों को रोका जाता है, इन्ही प्रेम की बातों से...

    जो बगावत करतीं हैं

    इन रुकावटों से,वो जीती है इन ख़ूबसूरत बातों को...

    पर उनकी बातें भी

    निषिद्ध होती है, आम स्त्रियों के समाज मे...

    वो कौतूहल बन जाती है

    समाज की रोकी गई स्त्रियों के समूह के मध्य...

    वो बेफ़िकर हो जाती है

    आस-पास की उन कानाफ़ूसियो से जो उनके बारे में की जाती है...

    वो अपनी जीवन शैली से

    आकर्षित करती है लुभाती है, बँधनो में बँधी स्त्रियों के समूह को...

    फिर वो लिखती है

    अपनी और अपने जैसी तमाम बागी औरतो की कहानियाँ...

    अब वो पढ़ी जाती है,

    चोरी-चोरी चुपके-चुपके, रोकी गई उन तमाम औरतो के समूहों द्वारा...

    उनके द्वारा जिया गया प्रेम,

    और निभाया गया प्रेम, अपने दौर में पढ़ने योग्य,

    और चर्चा के योग्य समझा जाता है...

    मगर उनके द्वारा लिखा गया प्रेम,

    आने वाली हर पीढ़ी के लिए धरोहर बन जाता है...

    आने वाली पीढ़ी समझती है,

    उस बीते दौर की स्त्रियों के प्रेम को और जीना चाहती है

    उससे एक क़दम आगे का प्रेम...

    परन्तु उन्हें भी,

    रोका जाता है, दुनिया की इन हसीन और दिलचस्प बातों से...

    काश ये बंधन,

    ये रुकावट पैदा करने वालों को

    समझ जाए

    इत्ती ज़रा-सी बात कि

    प्रेम जीने और महसूस करने से रोकना ही प्रेम को बढ़ावा देना है...(वत्सु)

    स्रोत :
    • रचनाकार : वत्सला पांडेय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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