दुनिया की महान उपलब्धियों के लिए एक शोकगीत
duniya ki mahan uplabdhiyon ke liye ek shokagit
बसंत त्रिपाठी
Basant Tripathi
दुनिया की महान उपलब्धियों के लिए एक शोकगीत
duniya ki mahan uplabdhiyon ke liye ek shokagit
Basant Tripathi
बसंत त्रिपाठी
और अधिकबसंत त्रिपाठी
ख़ालीपन दौड़ता है पसलियों के बीच धड़कते नन्हे-से दिल में
दिन की रफ़्तार रातों में घुलती चली जाती है
हर बार आशंकाएँ चील की तरह झपट्टा मारती है
हर बार छूट जाता है आदमी अपनी परछाई के साथ—
बिल्कुल अकेला
नमकीन रोशनी में चमकते थे जो लिपे-पुते चेहरे
अँधेरे के आँचल में सिर छुपाए देर तक सुबकते हैं
मृत्यु दिन-ब-दिन आसान हुई जाती है
बेकारों की टोली से कम होते जाते हैं कुछ चेहरे
ज़िंदगी मिट्टी का ढेला
शेयर बाज़ार का साँड़ हुँकारता है किसानों की हड्डियों में
कंप्यूटर की मंदी में अर्थहीन हो जाती है खाद की तेज़ी
जीवन भर थक-हारकर कमाता है किसान एक मजबूत फंदा
बँधा था जो आस की रस्सी से, टूट जाता है वह
ज़िंदगी का रेला!
- रचनाकार : बसंत त्रिपाठी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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