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दुम

dum

अनुवाद : दिनकर सोनवलकर

बंदर के होती है दुम

गधे के होती है दुम

खूँखार शेर के होती है दुम

और उसके पेट में जाने वाली

बकरी के भी होती है दुम

फिर आदमी ने ही क्यों त्याग दी दुम

और धारण कर ली चोटी निरर्थक!

दुम की सुविधा होनी ही चाहिए

तुम्हें और उन्हें होना चाहिए।

दुम हिलाई जा सकती हैं शान से

अपने या दूसरे के पैरों में

फँसाई जा सकती है आराम से

और ख़ास बात यह कि दुम

सिर पर धारण की जा सकती है अभिमान से।

मैंने एक दिन देखा—एक श्रेष्ठ पुरुष

मीठे स्वर में, अपने बॉस से

'यस सर' कहता हुआ,

उस समय उसका व्यक्तित्व ही

बन गया था दुम का पर्याय।

असली दुम रहने से

कितनी तकलीफ़ें हैं।

दुम होनी चाहिए छोटी-बड़ी

दुम होनी चाहिए असली-नक़ली

उन्हें रंगने की होनी चाहिए आज़ादी

कभी लाल, कभी पीली

कभी सफ़ेद, कभी भगवा

कभी बिलकुल नंगी, बेरंग

जैसी हो ज़रूरत

वैसी बना लेनी चाहिए

दुम की रंगत।

मुझे लगता है कि

सिर्फ़ मूर्खों के ही नहीं होती दुम

सफल अक़्लमंदों के होती है दुम

(एक नहीं, अनेक)

लेकिन वे उन्हें छिपाते हैं।

हर एक सफल सयाना

विशिष्ट स्थानों पर ही

अपनी दुम उठाता है

लपेटता या फटकारता है।

कई बार दूसरे लोग

उनके दुम-मूल नहीं देख पाते हैं

या अगर दिख पड़ने की संभावना हो

तो (शिष्टतावश) अपनी आँखें

मूँद लेते हैं।

मगर, मैंने एक बार, मूर्खों की तरह

आँखें खोल कर

अध्यात्म का उपदेश देने वाले

एक महापुरुष को ग़ौर से देख लिया।

ईश्वर की सौगंध

वहाँ भी एक दुम थी।

और वह, वैसे ही एक

दुमदार सत्ताधारी मंत्री के आगे

हिल रही थी।

हम साधारण लघुमानव

हमें नहीं देखनी चाहिए इस तरह

श्रेष्ठ पुरुषों की दुम।

फिर भी मैंने वह देख ली,

मेरी नासमझ खुली आँखों में

भर आए आँसू

उस समय मेरे हाथ पक्के बँधे हुए थे

इसलिए मैंने मन-ही-मन सोचा

अगर दुम होती आदमी के पास

तो वह अपने आँसू

अपनी ही दुम से पोंछ लेता तत्काल।

स्रोत :
  • पुस्तक : प्रतिनिधि संकलन कविता मराठी (पृष्ठ 119)
  • रचनाकार : मंगेश पाडगाँवकर
  • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन
  • संस्करण : 1965

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