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दुभाषिए

dubhashiye

अमूमन एक पुल जैसे होते हैं ये

नदियों के दोनों किनारों को एकमेक करते हुए

इन्हीं के सहारे

दोनों किनारे

एक दूसरे को अपनी अंकवार में कस लेते हैं

और जी भर कर अक्सर बतियाते हैं

दुनिया जहान की बातें

इनके होने से हमेशा एक भरोसा रहता है

कि हमारी बातें भी समझी जा सकेंगी

उस भाषा में

जिसकी लिपि आड़ी-तिरछी-उल्टी-सीधी रेखाओं से अधिक कुछ नहीं लगती

और जिसकी वर्णमाला के एक अक्षर तक से परिचित नहीं हम

इनके होने से हमेशा एक भरोसा रहता है कि हमारी कविताएँ

दूसरी भाषाओं की हवाओं में भी खुलकर साँस ले सकेंगी कभी

बातों को उनके समूचे अर्थ के साथ

दूसरे शब्दों में रखने का हुनर जानते हैं

फूलों का खिलना सुनकर

ये खिलखिलाहट की भाषा में बात करने लगते हैं

तब इनकी बातों से सुगंध झड़ती हैं

जिसे महसूस कर सकते हैं भौंरे ही

अकाल की आहट पाकर

मुरझा जाते हैं इनके चेहरे

और तब सचमुच की जद्दोजहद दिखाई पड़ती है

इनकी बातों में

इनका होना भोर होना है

इनका होना रात का अंजोर होना है

घोर सन्नाटे में भी मानुष शोर होना है

कभी-कभी आपसी बातचीत के लिए

दो के अलावा तीसरे का होना भी ज़रूरी होता है

अलग-अलग भाषाओं की धरती के दो लोगों की बातचीत के दौरान

अहम होती है इनकी मौजूदगी

इनके बिना समझ का कोई सिरा ही नहीं बन पाता एक भी तरफ़

जबकि इनके होने पर पूरे विश्वास से हम कर सकते हैं बातें

इनके होने की उम्मीद भर से कट जाती हैं कालिमा भरी रातें

इनके होने पर बेफ़िक्र हो हम मुस्कुरा सकते हैं

इनके होने पर बेतकल्लुफ़ी से हम गा सकते हैं

जहाँ की सड़कें तक अपरिचित हों

उस जगह के रास्ते पर खड़े होकर ये ठिकाना सुझाते हैं

इनका होना अपरिचय के संसार में भी हवा, पानी और रोशनी का होना है

इनका होना बियाबान में एक भाई, बहन या फिर एक मित्र का होना है

इनका होना किसी बीज का अँखुवाया हुआ कोना है

जिस पर कायम हैं आज भी जीवन की उम्मीदें

विपत्ति की घड़ी में जब भी कोई आवाज़ लगाएगा ख़ुद को बचाने की

इनके होते नाउम्मीद नहीं रहेगा वह

उसी की भाषा में ज़ोर-ज़ोर से

बचाव की आवाज़ बोलते हुए

तत्काल ही घर से निकल पड़ेंगे ये

जब तलक दुभाषिए हैं इस संसार में

भाषाओं के अर्थ बचे रहेंगे

अपने समूचे विस्तार में

विपरीत दिशा से आती हुई राहें एक दूसरे से मिलती रहेंगी

अपनी लिखावट के वृंत पर लिपियाँ हमेशा खिलती रहेंगी

स्रोत :
  • रचनाकार : संतोष कुमार चतुर्वेदी
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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