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दुःख और मिठाई

duःkh aur mithai

मोनिका कुमार

मोनिका कुमार

दुःख और मिठाई

मोनिका कुमार

और अधिकमोनिका कुमार

    माँ से पहली बार मार खाने के बाद,

    वह सुबक रही थी।

    उसने चीनी खाई,

    उसे अच्छा लगा।

    सहेलियों ने उसकी उपेक्षा की,

    वह रो रही थी।

    उसने टॉफ़ी खाई,

    उसे सुकून मिला।

    उसका दिल टूटा,

    उसे घुटन हो रही थी।

    उसने चॉकलेट खाई,

    उसे हल्का लगा।

    दुःखों के सामने,

    छोटी-मोटी बुद्धि, चालाकी

    और हास्यबोध किसी काम नहीं आता।

    दुःखों को सहने में इनकी भूमिका संदिग्ध थी

    जबकि आलू और गुलाबजामुन खाकर

    तुरंत राहत मिलती थी।

    इस तरह

    इससे पहले,

    कि दुःख उसे घेरते,

    वह कुछ कुछ खाने की इच्छा से घिर जाती।

    बस एक दिल था,

    बोझिल नाड़ियों से ख़ून सींचता-सींचता,

    अब हायतौबा करने लगा था।

    रक्तचाप की गुपचुप भाषा में,

    दिल के नए दुःख सुना रहा था।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आश्चर्यवत् (पृष्ठ 66)
    • रचनाकार : मोनिका कुमार
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2018

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