दो हज़ार सात सौ प्रेम कविताएँ
do hazar sat sau prem kawitayen
एक प्रेम कविता
एक और प्रेम कविता
फिर दो प्रेम कविताएँ
फिर तीन, चार और पाँच प्रेम कविताएँ
बाँस पर चढ़कर दो प्रेम कविताएँ
पानी में मुँह देकर सात प्रेम कविताएँ
हाथ में जूता लेकर बीस प्रेम कविताएँ
दारू पीने के बाद तीस प्रेम कविताएँ
एक रूसी प्रेम कविता
दो बल्गारियाई प्रेम कविताएँ
तीन पोलिश प्रेम कविताएँ
पोलानियाँ और पोल्स्का के नाम से भी तीन-तीन प्रेम कविताएँ
मेडागास्कर से कोई लिखता नहीं ससुरा
नौ स्पेनिश प्रेम कविताएँ
दस आयरिश प्रेम कविताएँ
एन्ड नाव दोज़ हू रियली नो हाउ टू मेक लव
झऊआ भर अमेरिकी प्रेम कविताएँ
खड़े होकर चार प्रेम कविताएँ
बैठकर छह प्रेम कविताएँ
सड़क पर चलते हुए ग्यारह प्रेम कविताएँ
एक प्रेम कविता शीर्षासन लगाकर
गुलमोहर पर बैठकर दो प्रेम कविताएँ
झाड़ियों में घुसकर तीन प्रेम कविताएँ
पोदीने को सूँघकर चार प्रेम कविताएँ
शिलाजीत चाटकर पौने चार प्रेम कविताएँ
अब आइडियोलॉजी में आइए
तीन मार्क्सिस्ट प्रेम कविताएँ
चार फ़ाशिस्ट प्रेम कविताएँ
पाँच पामिस्ट प्रेम कविताएँ
छह डेन्टिस्ट प्रेम कविताएँ
दस दलित प्रेम कविताएँ
दस पंडित प्रेम कविताएँ
दस दंडित प्रेम कविताएँ
दस पिछड़ी प्रेम कविताएँ
दस अति पिछड़ी प्रेम कविताएँ
साठ नारीवादी प्रेम कविताएँ
सत्तर नरवादी प्रेम कविताएँ
बहत्तर नारायणवादी प्रेम कविताएँ
दो-दो प्रेम कविताएँ बृजभाषा, अवधी और मैथिली से
पंक, फ़ंक, एसिड और हैवी मैटल पर चार-चार प्रेम कविताएँ
मणिपुर, मालाबार और मंदसौर से एक-एक प्रेम कविता
ज़बरदस्ती करती बीस प्रेम कविताएँ
फ़ेडरल स्ट्रक्चर की तीस प्रेम कविताएँ
नैतिकता पर लगभग ठीक-ठीक प्रेम कविताएँ
युद्ध-विरोध पर उन्नीस सौ तेतीस प्रेम कविताएं
धर्मनिरपेक्षता पर चार सौ बीस प्रेम कविताएं
दंगे के दिनों बहत्तर प्रेम कविताएँ
हैज़े के दिनों छियत्तर प्रेम कविताएँ
थकी हुई प्रेम कविताएँ
ऊबी हुई प्रेम कविताएँ
सीली हुई प्रेम कविताएँ
समानार्थक प्रेम कविताएँ
निरर्थक प्रेम कविताएँ
द्वेष भरी प्रेम कविताएँ
गालियाँ देती प्रेम कविताएँ
बौखलाती बिलबिलाती प्रेम कविताएँ
जे.एन.यू. की तरह चिपचिपी-किलबिलाती प्रेम कविताएँ
ईंट भी उठाओ तो नीचे छिपी पचास प्रेम कविताएँ
बड़े संयम के बाद भी कोई दो हज़ार सात सौ पौने चौंसठ हो ही गईं कम-बख़्त
अब मत कहना प्रेम कविताओं पर हमारी निगाह नहीं
और अगर आपका यही मक़सद था
तो हम आपको बता दें
हमें बराबर उनका ख़याल है
अपने प्रेमी-प्रेमिका के साथ जो
सदियों से चुंबनरत हैं
और उनका तो हम बहुत सम्मान करते हैं
जिनकी उम्र तो कम है
लेकिन उन्होंने काम बहुत ज़्यादा किया है।
- रचनाकार : संजय चतुर्वेदी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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