सीआरपीएफ़ के जवान की नई-नवेली पत्नी
गाँव की शारदा सिन्हा थी
गाती तो पूरा गाँव हो जाता नमक की डलिया
पटना से बैदा बोला द नज़रा गइनीं गुइंया…
कढ़ाते ही राग उसके खिल जातीं बहूएँ
ननदें कभी चुहल तो कभी भरतीं ईर्ष्या से
सासों के समूह को गुदगुदा देती गुजरते यौवन की यादें
बक्सर वाली के आते ही
गाँव के कई देवर हुए भर्ती फ़ौज में
कुछ ननदें भी कर आईं नर्सिंग की ट्रेनिंग
गाँव की शारदा सिन्हा के अच्छे आंगछ की चर्चा थी पुरज़ोर
छत्तीसगढ़ में तैनात पति के लिए
बक्सर वाली अक्सर बदल देती गीतों के बोल
ले ले अईहहो पिया सेनुरा बंगाल से की बजाए
गाती ले ले अईहहो पिया सेनुरा छत्तीसगढ़ से
हँसी की फुहार से भीगतीं सीआरपीएफ़ वाले की दुलहिन
साथ में भीगता पूरा गाँव
***
बक्सर वाली बेहोश है
सुबह से पति का मोबाइल नहीं उठा
पूरी घंटी जाती है अनसुनी
पिछली ही रात पूछे जाने पर हाल
सुना डाला था उसने सीआरपीएफ़ वाले को
बलम बिन सेजिया ना सोभे राजा
बलम बिन... उधर से देता रहा कोई थपकी देर तक
करता रहा घर जल्दी आने का वादा
गिनाता रहा ढेर सारे बाक़ी काम
कराना था फ़र्श पक्का इस बार
बदलवाना था चश्मा बाबू जी का
अधूरे कामों की फ़ेहरिस्त लिए
सीआरपीएफ़ कैंप में
जब जवानों का फ़ोन नहीं उठता तो
नहीं जलता चूल्हा कई घरों में
मच जाता है कोहराम
बह जाता है गाँव का नमक
रुक जाती हैं धड़कनें
जुड़ जाते हैं हाथ प्रार्थना में
नहीं होना चाहता कोई शहीद का पिता
सीआरपीएफ़ कैंप पर होता है हमला छत्तीसगढ़ में
और ख़ून से भर जाती है मेरे गाँव की नदी
परखच्चे उड़ जाते हैं खेत-खलिहानों के
सीआरपीएफ़ कैंप पर होता है हमला छत्तीसगढ़ में
और कई शारदा सिन्हाएँ गूँगी हो जाती हैं
हमेशा के लिए
- रचनाकार : प्रीति चौधरी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
Additional information available
Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.
About this sher
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.
rare Unpublished content
This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.