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दिल्ली

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मंगलेश डबराल

और अधिकमंगलेश डबराल

    दस लोगों का परिवार मारुति डीलक्स में ठुँसा जा रहा था। दोस्त से गहन

    चर्चा में लीन चित्रकार सामने से आती बस देखकर सहसा लपक पड़ा। कोने

    में एक औरत अपने बच्चे को पीट रही थी। एक नौजवान खुलेआम एक

    युवती से प्रेम करने का स्वाँग करता था।

    एक आदमी कुहनियों से अगल-बग़ल धक्के मारकर काफ़ी आगे निकल गया।

    कंप्यूटर के सामने बैठा दिल का मरीज़ सोचता था देश का इलाज कैसे करूँ।

    आलीशान बाज़ार के पिछवाड़े एक वीर पुरुष रो रहा था जिसे वीरता की

    बीमारी थी। एक सफल आदमी सफलता के गुप्त रोग का शिकार था। एक

    प्रसिद्ध अत्याचारी विश्व पुस्तक मेले में हँसता हुआ घूम रहा था।

    इस शहर में दिखाई देते हैं विचित्र लोग। उनके चेहरे मेरे शत्रुओं से मिलते हैं।

    आरामदेह कारों में बैठकर वे जाते हैं इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की ओर।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मंगलेश डबराल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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